
मद्रास हाइकोर्ट ने Flipkart के को-फाउंडर सचिन बंसल (Sachin Bansal) की एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. बंसल ने कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक नोटिस को चुनौती देते हुए ये याचिका दाखिल की है.
ED का बंसल को नोटिस
ED ने सचिन बंसल को विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन कानून (FEMA) के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए एक नोटिस भेजा है. ये नोटिस FEMA की धारा-16 के तहत जारी किया गया है. ED का दावा है कि सचिन बंसल ने बिन्नी बंसल के साथ मिलकर 2010 की समेकित एफडीआई नीति की शर्तों का उल्लंघन किया और वो करीब 23,000 करोड़ रुपये की संलिप्तता वाले इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार हैं.
सचिन बंसल की कोर्ट में याचिका
सचिन बंसल ने अपनी याचिका में ED के देरी से नोटिस देने को आधार बनाते हुए इस नोटिस को हाइकोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि ये नोटिस करीब 12 साल पहले हुए एक लेनदेन के लिए दिया है. वहीं इतनी देरी से नोटिस देने के लिए ED की ओर से इसकी कोई ठोस वजह भी नहीं बताई गई है.
‘ED कर रही शक्ति का मनमाना उपयोग’
सचिन बंसल ने अपनी याचिका में ED के इस नोटिस को ‘शक्तियों का बेज़ा इस्तेमाल’ बताया है. साथ ही अदालत से नोटिस को निरस्त करने की मांग की है. बंसल ने 12 साल पुराने लेनदेन के लिए अब नोटिस भेजे जाने और उन्हें बिन्नी बंसल के साथ व्यक्तिगत तौर पर कथित उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराए जाने पर हैरानी जताई.
ED के पास 3 हफ्ते का समय
मद्रास हाइकोर्ट के जज जस्टिस आर. महादेवन की एकल पीठ ने बंसल की याचिका को स्वीकार करते हुए ED से तीन हफ्ते के भीतर इसका जवाब देने को कहा है. अदालत ने पाया कि ED को इस नोटिस को देने में 12 साल का वक्त क्यों लगा?
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