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Maharaja Ki Ghar Wapasi: पिछले साल सफल नीलामी के बाद टाटा (Tata Group) को एअर इंडिया (Air India) सौंपने की प्रक्रिया जारी है. यह काम पहले ही हो जाना था, लेकिन कुछ अड़चनों के चलते अभी तक नहीं हो पाया है. टाटा को आज एअर इंडिया सौंपे जाने के कयास थे, लेकिन अंतिम समय पर मिले कुछ अपडेट से लग रहा है कि टाटा का 69 साल का इंतजार अभी खत्म नहीं होने वाला है. सूत्रों का कहना है कि अब टाटा को एअर इंडिया शुक्रवार को सौंपी जा सकती है.
साढ़े तीन महीने पहले हुई थी नीलामी
पिछले साल एअर इंडिया की हुई नीलामी में टाटा समूह (Tata Group) और स्पाइसजेट (Spicejet) के चेयरमैन अजय सिंह ने बोलियां पेश की थीं. नीलामी में टाटा समूह की 18 हजार करोड़ रुपये की बोली को बेहतर पाया गया. इसके बाद सरकार ने 8 अक्टूबर को ऐलान कर दिया कि टाटा की बोली नीलामी में सफल चुनी गई है.
सफल नीलामी के बाद सरकार ने इस डील के शेयर पर्चेज एग्रीमेंट (Share Purchase Agreement) पर 25 अक्टूबर को साइन कर दिया था. अधिकारियों ने कल बुधवार को बताया था कि टाटा को एअर इंडिया सौंपे जाने की राह की सारी बाधाएं दूर कर ली गई हैं. इसके लिए जरूरी सभी औपचारिकताएं भी हो चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार टाटा को आज एअर इंडिया सौंप सकती है. हालांकि अंतिम समय पर मिले अपडेट से ऐसा लग रहा है कि यह काम अब आज के बजाय शुक्रवार को हो सकता है.
एअर इंडिया ही नहीं, ये भी लगे हैं टाटा के हाथ
टाटा समूह के पास पहले से ही 2 एअरलाइन कंपनी विस्तार (Vistara) और एअर एशिया (Air Asia India) है. अब टाटा के पास एअर इंडिया भी आ गई है. इसे टाटा समूह की सब्सिडियरी Talace Private Limited को सौंपा जाएगा. इस डील में टाटा को ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस (AISATS) का 50 फीसदी शेयर भी मिला है. इसके अलावा घरेलू एअरपोर्ट पर घरेलू उड़ानों के लिए 4,400 और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 1,800 लैंडिंग एंड पार्किंग स्लॉट, विदेशी हवाईअड्डों के 900 स्लॉट भी टाटा के हाथ लगे हैं.
90 साल पुराना है महाराजा का सफर
एअर इंडिया की कहानी भारत की आजादी से पहले ही शुरू हो गई थी. अपने जमाने के दिग्गज उद्योगपति जेआरडी टाटा (JRD Tata) को एअरलाइन सेक्टर में काफी रूचि थी. उन्होंने 1932 में भारत की पहली एअरलाइन कंपनी शुरू की, जिसे टाटा एअरलाइंस (Tata Airlines) मिला. तब दो लाख रुपये की पूंजी से शुरू यह कंपनी एअर पार्सल ढोती थी. इसकी पहली उड़ान कराची से मद्रास (अब चेन्नई) तक की थी और उसे खुद जेआरडी उड़ा रहे थे.
सरकारी हो जाने के बाद भी बना रहा टाटा का साथ
टाटा एअरलाइंस को 1946 में Air India नया नाम मिला. आजादी के कुछ साल बाद 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की सरकार ने एअर इंडिया का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation of Air India) कर दिया. तब से एअर इंडिया का कंट्रोल सरकार के हाथों में ही रहा. हालांकि एअर इंडिया के साथ टाटा का साथ यहीं समाप्त नहीं हुआ. जेआरडी टाटा 1977 तक एअर इंडिया के चेयरमैन बने रहे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) के साथ हुए विवाद के बाद जेआरडी टाटा एअर इंडिया से अलग हो गए.
साढ़े चार साल में हो पाई एअर इंडिया की डील
टाटा का साथ छूटते ही एअर इंडिया के बुरे दिन शुरू हो गए. सरकारी रवैये से इसे चलाना सरकार को भारी पड़ने लगा. 2000 आते-आते एअर इंडिया में जमकर भ्रष्टाचार की खबरें बाहर आने लगीं. अपनी सर्विस के लिए मशहूर रही एअर इंडिया न सिर्फ बदनाम होने लगी बल्कि लगातार घाटे में जाने लगी. सरकार के लिए एअर इंडिया चलाना सफेद हाथी पालने जैसा मुश्किल साबित हो रहा था. उसके बाद विभिन्न सरकारों ने एअर इंडिया को संभालने के कई उपाय किए, लेकिन कुछ काम नहीं आया. अंतत: 28 जून 2017 को एअर इंडिया बेच जाने का ऐलान हो गया.