
हर कोई चाहता है कि आर्थिक रूप से उसका परिवार हमेशा मजबूत रहे. इसके लिए लोग अलग-अलग जगहों पर निवेश करते हैं. लोग बीमा पॉलिसियों की तरह ही Term Plan या Term Insurance भी लेने लगे हैं. दरअसल, यह प्लान किसी अनहोनी की स्थिति में आपके परिवार को फाइनेंशियल सेफ्टी देने का काम करता है. कुछ साल पहले तक इसकी अहमियत को कम समझा जाता था. लेकिन आज बीमा (Insurance) सबसे बड़ी जरूरत बन गया है.
लेकिन टर्म इंश्योरेंस लेने वाले लोगों के दिमाग में कई तरह के सवाल चलते रहते हैं. इनमें से एक यह है कि अगर टर्म प्लान लेने के दूसरे ही दिन ही पॉलिसीधारक का मर्डर या किसी अन्य तरह से मौत हो जाती है, तो क्या नॉमिनी को पैसा मिलेगा?
अनहोनी की स्थिति आर्थिक मदद
टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) आपके साथ किसी भी अनहोनी की स्थिति में आपके परिवार को आर्थिक परेशानी से निपटने में मदद करता है. लेकिन कई तरह की स्थितियों में टर्म प्लान का पैसा नॉमिनी को नहीं मिलता है. बता दें कि अलग-अलग बीमा कंपनियों के डेथ क्लॉज अलग-अलग होते हैं. टर्म प्लान की खास बात ये है कि इसका कोई भी वेटिंग पीरियड नहीं होता है.
टर्म इंश्योरेंस पर वेटिंग पीरियड नहीं
टर्म इंश्योरेंस किसी भी सब्सक्राइबर की मृत्यु के बाद ही उसके नॉमिनी को बीमा की रकम मुहैया करता है. आमतौर पर यह बीमा की राशि बड़ी होती है. टर्म इंश्योरेंस में, प्राकृतिक, बीमारियों या एक्सीडेंट से हुई मौत कवर होती है. इस इंश्योरेंस पर वेटिंग पीरियड नहीं होता. मतलब ये कि बीमा खरीदने के अगले दिन से ही आपको कवर मिलना शुरू हो जाता है. लेकिन अगर मामला आत्महत्या का हो तो करीब एक साल का वेटिंग पीरियड हो सकता है.
हत्या पर किस स्थिति में नहीं मिलेगा क्लेम
अब मान लीजिए कि किसी बीमा धारक का मर्डर हो जाता है और उसने एक दिन पहले ही टर्म इंश्योरस लिया था. ऐसी स्थिति में भी नॉमिनी को इंश्योरेंस का पूरा क्लेम मिलेगा. लेकिन अगर बीमाधारक की हत्या में नॉमिनी की भूमिका सामने आती है या फिर उसपर हत्या का आरोप लगता है, तो बीमा कंपनी टर्म इंश्योरेंस का पैसा देने से इनकार कर सकती है. कंपनी क्लेम को तब तक होल्ड पर रख सकती है, जब तक कि नॉमिनी निर्दोष साबित नहीं हो जाता. वहीं, अगर बीमा लेने वाला व्यक्ति ही किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल है और इस दौरान उसकी मौत हो जाती है, तो बीमा कंपनी इंश्योरेंस की रकम देने से मना कर देगी.
इस स्थिति में भी खारिज हो सकता है क्लेम
एक स्थिति ऐसी भी हो सकती है कि मान लीजिए कि बीमा लेने वाले व्यक्ति ने पॉलिसी लेने के दौरान किसी गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी नहीं दी. लेकिन उसकी मौत उसी गंभीर बीमारी से हो जाती है. इस स्थिति में बीमा कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर देगी. इसलिए टर्म प्लान लेते वक्त किसी भी तरह की जानकारी न छुपाएं. टर्म इंश्योरेंस के तहत HIV/AIDS से हुई मृत्यु कवर नहीं होती है.