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कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की एक और कंपनी बिकेगी, मंजूरी मिलते ही शेयरों में उछाल

अनिल अंबानी की एक और कंपनी बिकने जा रही है. NCLT ने इसके लिए मंजूरी दे दी है. रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग पर बैंकों का कर्ज है. हाल ही में रिलायंस इंफ्राटेल के अधिग्रहण के लिए भी रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी.

बिक रही है अनिल अंबानी की एक और कंपनी. बिक रही है अनिल अंबानी की एक और कंपनी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:32 AM IST

बिजनेसमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) की एक और कंपनी बिकने जा रही है. कर्ज में डूबी रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग (Reliance Naval Defence & Engineering) को बिक्री के लिए मंजूरी मिल गई है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अहमदाबाद विशेष पीठ ने रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग के लिए स्वान एनर्जी (Swan Energy) के नेतृत्व वाली हेजल मर्केंटाइल (Hazel Mercantile) के कंसोर्टियम योजना को आज मंजूरी दे दी है. जिंदल स्टील एंड पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा दायर अपीलों को NCLT ने खारिज कर दिया है.

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स्वान एनर्जी टॉप बिडर

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने आज एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि रिलायंस नेवल के लिए हेजल मर्केंटाइल की समाधान योजना को NCLT से मंजूरी मिली है. इस साल की शुरुआत में स्वान एनर्जी को रिलायंस नेवल शिपयार्ड के लिए विजेता बोलीदाता के रूप में आशय पत्र (LOI) जारी किया गया था. अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को पहले पिपावाव शिपयार्ड (Pipavav Shipyard) के नाम से जाना जाता था.

कई बैंकों का कर्ज

हेजल मर्केंटाइल कंसोर्टियम की रिजॉल्यूशन योजना को पहले ही रिलायंस नेवल के लगभग 95 प्रतिशत कर्जदाताओं के पक्ष में मतदान के साथ अनुमोदित किया जा चुका है. NCLT का फैसला रिलायंस नेवल की समाधान प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. 26 महीने पहले भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित वित्तीय लेनदारों के 12,429 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के लिए समाधान प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी.

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इस बीच कंपनी के शेयरों में उछाल देखने को मिला. कंपनी के शेयरों में आज अपर सर्किट लग गया. कंपनी के शेयर आज 4.26 फीसदी की बढ़त के साथ 2.45 रुपये पर क्लोज हुए.

लंबे समय से चल रही थी वोटिंग

दिवालिया रिलायंस नेवल शिपयार्ड के समाधान योजना पर कई सालों से वोटिंग चल रही थी. बोली लगाने वालों में 2,700 करोड़ रुपये के साथ हेजल मार्केटाइल सबसे मजबूत दावेदार थी. लेकिन अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से इस प्रक्रिया को रोकने की कोशिश हो रही थी. बता दें कि हाल ही में NCLT ने रिलायंस जियो (Reliance Jio) को रिलायंस इंफ्राटेल ( Reliance Infratel) के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है. 

पिछले दिनों बिकी यह कंपनी

अनिल अंबानी की कंपनी को बड़े भाई मुकेश अंबानी खरीदेंगे. NCLT ने रिलायंस इंफ्राटेल के टावर और फाइबर की संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए रिलायंस जियो को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है. इस महीने की शुरुआत में जियो ने रिलायंस इंफ्राटेल के अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए ट्रिब्यूनल का रुख किया था. रिलायंस इंफ्राटेल के पास पूरे देश में करीब 78 लाख रूट किलोमीटर की फाइबर प्रॉपर्टी और 43,540 मोबाइल टावर हैं.  

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