
भले ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 (Nifty 50) इंडेक्स अपने अभी अपने रिकॉर्ड हाई से 16 फीसदी नीचे आ गया है, लेकिन इसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) दुनिया के अन्य स्टॉक मार्केटों की तुलना में सबसे ज्यादा एक्सपेंसिव है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि जेरोधा (Zerodha) और ट्रू-बीकन (True Beacon) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) ने इसका पूरा गणित समझाया है. कामथ के मुताबिक अमेरिका और जापान के बाजार भी भारत से सस्ते हैं.
इंडेक्स पीई अनुपात आधिक
निखिल कामथ का दो इंडिकेटर्स के आधार पर कहना है कि भारतीय शेयर बाजार दुनिया के अन्य देशों के बाजारों से एक्सपेंसिव है. पहला उन्होंने बताया कि निफ्टी-50 का इंडेक्स पीई रेशियो (Index PE Ratio), एसएंडपी 500 (S&P) और निक्की 225 (Nikkei) से भी ज्यादा है, जो कि इसे सबसे महंगा बाजार बनाता है. रिपोर्ट के मुताबिक हाई पीई इंडेक्स रेशियो ज्यादा होने का मतलब होता है कि बाजार की जो टोटल वैल्यू है उसके अनुपात में उतना रिटर्न नहीं है. ऐसे में निफ्टी दुनिया के सबसे महंगे शेयर बाजारों में से एक है.
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पीई रेशियो (प्राइस अर्निंग रेशियो) की गणना इंडेक्स मार्केट कैप (Market Cap) को ग्रॉस इनकम से डिवाइड करके निकाली जाती है. आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब निफ्टी पर लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू और उनसे हासिल होने वाले रिटर्न का अनुपात है. निफ्टी का इंडेक्स पीई अनुपात अभी 19.9 है, जबकि एसएंडपी और निक्की का क्रमशः 18.95 और 18.79 है. इसके अलावा ब्रिटेन, जापान, शंघाई, ब्राजील और जर्मनी जैसे अन्य बाजारों के प्रमुख इंडेक्स भारत की तुलना में और भी ज्यादा सस्ते हैं.
बफे इंडिकेटर के हिसाब से यहां
दूसरा संकेतक बफे इंडिकेटर (Buffett Indicator) है. इसका जिक्र करते हुए कामथ ने कहा कि इसके आधार पर भी भारतीय शेयर बाजार सबसे महंगे बाजारों में से एक है. इस इंडिकेटर को दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने शुरू किया था, इस इंडिकेटर में देश की जीडीपी से इंडेक्स मार्केट कैप को डिवाइड करके गणना की जाती है. पीई रेशियो की तरह ही हाई बफे इंडिकेटर भी महंगे बाजार की ओर संकेत करता है.
कामथ के शेयर किए आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका का बफे इंडिकेटर 138.9 फीसदी, जबकि जापान का 113 फीसदी है. इसके बाद 94 फीसदी के साथ भारत को नंबर आता है, जो कि ब्रिटेन (89 फीसदी), ब्राजील (53 फीसदी), चीन (58.7 फीसदी) और जर्मनी (47.4 फीसदी) से कहीं ज्यादा है. गौरतलब है कि जेरोधा भारत में म्युचुअल फंड और बॉन्ड समेत अन्य वित्तीय सेवाएं देती है.