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ABG Shipyard Scam: निर्मला सीतारमण ने UPA को लपेटा, बैंकों को सराहा

ABG Shipyard Scam: निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद कहा, 'इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा. उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया.'

एबीजी शिपयार्ड घोटाला बैंकों ने कम समय में पकड़ा एबीजी शिपयार्ड घोटाला बैंकों ने कम समय में पकड़ा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:04 PM IST
  • ICICI Bank की अगुवाई में बैंकों ने कराया केस दर्ज
  • निर्मला ने यूपीए को इस SCAM के लिए जिम्मेदार ठहराया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है एबीजी शिपयार्ड का खाता पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल में Non Performing Assets (NPA) हुआ था और बैंकों ने औसत से कम समय में इसे पकड़ा और अब इस मामले में कार्रवाई चल रही है.

निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद कहा, 'इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा. उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया.'

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बैंकों को निर्मला ने सराहा

वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने में 52 से 56 महीने का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं. 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह मामला ICICI Bank की अगुवाई में करीब दो दर्ज बैंकों के गठजोड़ के साथ धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया है.

नीरव मोदी और मेहुल चौकसी घोटाले से बड़ा

एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है. वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के कार्यकाल में बैंकों की सेहत सुधरी है और वे बाजार से धन जुटाने की स्थिति में हैं. 

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वहीं रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति के अनुमान काफी मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि अक्टूबर, 2021 से मुद्रास्फीति का रुख नीचे की ओर है, शक्तिकांत दास ने कहा, 'मुख्य रूप से सांख्यिकी कारक यानी आधार प्रभाव की वजह से मुद्रास्फीति विशेषरूप से तीसरी तिमाही में ऊंची रही है.'

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