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अडानी की कंपनी से नॉर्वे के सबसे बड़े पेंशन फंड ने तोड़ा नाता, म्यांमार मिलिट्री लिंक पर सवाल

अडानी पोर्ट्स म्यांमार के यांगून शहर में एक कंटेनर टर्मिनल बना रही है. इसके लिए अडानी ग्रुप ने म्यांमार सेना के नियंत्रण वाले एक समूह से लीज पर जमीन हासिल की है. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशक इस पर सवाल उठा रहे हैं. 

 अडानी पोर्ट्स भारत का सबसे बड़ा पोर्ट ऑपरेटर है (फाइल फोटो: Adani Group)  अडानी पोर्ट्स भारत का सबसे बड़ा पोर्ट ऑपरेटर है (फाइल फोटो: Adani Group)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 23 जून 2021,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST
  • Adani म्यांमार में बना रही कंटेनर टर्मिनल
  • इस प्रोजेक्ट से सेना के जुड़ाव पर सवाल

नॉर्वे का पेंशन फंड KLP म्यांमार की सेना से कथित जुड़ाव के आरोप में अडानी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकोनॉमिक (APSEZ) जोन से अपना निवेश बाहर निकाल रहा है. आज अडानी पोर्ट्स के शेयर करीब ढाई फीसदी टूट गए. 

केएलपी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि यह उसकी जवाबदेह निवेश नीति के खिलाफ है, इसलिए अडानी पोर्ट्स से अपना निवेश बाहर निकाल रहा है. केएलपी नॉर्वे का सबसे बड़ा पेंशन फंड है और उसने Adani Ports में करीब 10.5 लाख डॉलर (करीब 780 करोड़ रुपये) का निवेश कर रखा था. आज अडानी पोर्ट्स के शेयर करीब ढाई फीसदी टूटकर 721.20 रुपये तक चले गए. 

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कंटेनर टर्मिनल बना रही अडानी पोर्ट्स

गौरतलब है कि भारत की सबसे बड़ी पोर्ट ऑपरेटर अडानी पोर्ट्स म्यांमार के यांगून शहर में एक कंटेनर टर्मिनल बना रही है. इसके लिए अडानी ग्रुप ने म्यांमार सेना के नियंत्रण वाले एक समूह से लीज पर जमीन हासिल की है. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशक इस पर सवाल उठा रहे हैं. 

म्यांमार में इस साल 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट कर दिया था और विरोध में जन प्रदर्शनों को बड़े पैमाने पर कुचल दिया गया. इसमें सैकड़ों लोग मारे गए. इसकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में काफी आलोचना हुई. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसके बाद म्यांमार की सेना के नियंत्रण वाली सरकार और उसके नियंत्रण वाली कंपनियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. 

KLP को किस बात की है चिंता 

KLP ने एक बयान में कहा, ' म्यांमार में अडानी के कामकाज और वहां के सैन्य बलों के साथ उसकी कारोबारी साझेदारी ने इस बात का अस्वीकार्य जोखिम पैदा किया है कि केएलपी की जवाबदेह निवेश वाले दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो.' 

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केएलपी ने कहा कि अडानी जो कंटेनर टर्मिनल बना रही है वह सेना की जमीन पर है और इस बात का 'खतरा' है कि सेना इस ​टर्मिनल का इस्तेमाल हथियारों और अन्य साजो-सामान के आयात के लिए करे. 

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