
ट्रांजैक्शन के लिहाज से देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज NSE इस समय विवादों में है. विवाद की जड़ में हैं एक अज्ञात 'योगी' के इशारे पर काम करने वाली एक्सचेंज की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) और एक समय में एक्सचेंज में काफी पावरफुल रहे आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian).
मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से हाल में जारी 190 पेज के एक ऑर्डर में NSE में पिछले कई साल से चल रहे 'Scam' के बारे में विस्तार से बताया गया है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस एक्सचेंज की नींव हर्षद मेहता केस सामने आने के बाद पड़ी थी.
इस नए एक्सचेंज की शुरुआत का मकसद ज्यादा ट्रांसपैरेंट और टेक्नोलॉजी बेस्ड स्टॉक मार्केट की स्थापना करना था लेकिन यह एक्सचेंज भी कई तरह की गड़बड़ियों की शिकार बनकर रह गई.
Harshad Mehta Scam के बाद महसूस हुई थी नए एक्सचेंज की जरूरत
1991 में देश में इकोनॉमी में Liberalisation की शुरुआत हुई थी. इसके एक साल के भीतर ही अप्रैल, 1992 में एक बड़ा Scam सामने आया. यह स्कैम हर्षद मेहता से जुड़ा था. मेहता केस ने स्टॉक मार्केट और बैंकिंग सिस्टम की खामियों (Loopholes) को सबके सामने उजागर कर दिया.
इसके बाद सरकार ने टेक्नोलॉजी पर आधारित एक नए स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत का फैसला किया. इसके बाद दिग्गज बैंक S.S. Nadkarni को नए एक्सचेंज का खाका तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद Nadkarni ने एक कोर टीम का गठन किया. इंडस्ट्रियल डेवपलमेंट बैंक ऑफ इंडिया (IDBI) में बॉन्ड डेस्क पर काम करने वाली एक युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट चित्रा रामकृष्णा (Chitra Ramkrishna) को भी इस कोर टीम में शामिल किया गया था. इस कोर टीम में पांच लोग शामिल थे.
कुछ ही महीनों में बन गया था नया एक्सचेंज
इस कोर टीम में हर सेक्टर के एक्सपर्ट थे और इसे नए एक्सचेंज के काम करने का पूरा फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा गया था. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के डिजाइन को अंतिम रूप देने के नौ महीने के भीतर NSE पर जून 1994 में एक होलसेल डेट मार्केट ऑपरेशनल हो गया. NSE ने इसके बाद अपने प्रोडक्ट्स और ऑफरिंग का खूब विस्तार किया. NSE ने अपने प्रोडक्ट्स और मजबूत टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर के दम पर लॉन्च के एक साल के भीतर 100 साल पुराने BSE को पीछे छोड़ दिया.
और फिर 2012 में सामने आई बड़ी गड़बड़ी
पांच अक्टूबर, 2012 को NSE के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ी बड़ी गड़बड़ी सामने आई. इससे कुछ सेकेंड में ही निवेशकों के 10 लाख करोड़ स्वाहा हो गए. यह गड़बड़ी 15 मिनट रही और तत्कालीन सीईओ रवि नारायण को इसका खामियाजा भुगताना पड़ा. इस वाकये के कुछ महीने बाद रामकृष्णा देश के सबसे बड़े एक्सचेंज की एमडी और सीईओ बन गईं. इसके बाद 2016 में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति को लेकर कई सवाल खड़े होने के बाद रामकृष्णा ने दिसंबर, 2016 में इस्तीफा दे दिया था. लेकिन इस पूरी अवधि में शीर्ष मैनेजमेंट के कामकाज को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं, जिसकी जांच कई एजेंसियां कर रही हैं.