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Tata-Birla नहीं... ये है देश का सबसे पुराना कारोबारी घराना, अंग्रेजों के लिए बनाए थे पानी के जहाज

Wadia Group History: अंग्रेजों के लिए पानी के जहाज बनाने से शुरू हुआ वाडिया ग्रुप का बिजनेस 1863 में ट्रेडिंग के कारोबार के साथ बढ़ा और फिर देश को आजादी मिलने के बाद ये तमाम सेक्टर्स तक फैल गया.

साल 1736 में हुई थी इस कॉरपोरेट घराने की शुरुआत साल 1736 में हुई थी इस कॉरपोरेट घराने की शुरुआत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:49 AM IST

देश में आजादी से पहले के कारोबारी घरानों की बात होती है तो लिस्ट में टाटा-बिरला समेत तमाम नाम शामिल हैं. इनमें कई का नाम गुम हो चुका है तो कई का दबदबा आज भी कायम है. लेकिन अगर बात करें भारत के सबसे पुराने बिजनेस ग्रुप के बारे में तो Tata-Birla नहीं बल्कि ये तमगा वाडिया ग्रुप (Wadia Group) के नाम है, जिसकी नींव करीब 300 साल पहले 1736 में डाली गई थी. इसे लोवजी नुसरवानजी वाडिया ने शुरू किया था और खास बात ये है कि आज भी इसका दुनिया में डंका है और ग्रुप की कंपनियां बिस्किट से लेकर एविएशन सेक्टर तक में सक्रिय हैं. 

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पानी के जहाज बनाने से की थी शुरुआत
वाडिया समूह (Wadia Group) की शुरुआत साल 1736 में पानी के जहाज का निर्माण करने से हुई थी. लोवजी नुसरवानजी वाडिया (Loeji Nusserwanjee Wadia) द्वारा शुरू किया गया ये ग्रुप का पहला कारोबार था. रिपोर्ट्स की मानें तो वाडिया ग्रुप ने अपने इस शुरुआती कारोबार के जरिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए 355 जहाजों का निर्माण किया था. 

100 साल से ज्यादा समय तक चला बिजनेस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पानी के जहाज बनाने का वाडिया ग्रुप का बिजनेस करीब 130 साल तक चला और इसके बाद साल 1863 में कारोबार का विस्तार करते हुए ग्रुप ने ट्रेडिंग का काम शुरू कर दिया. इसके लिए बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (BBTCL) की स्थापना की. टीक की लकड़ी की ट्रेडिंग करते हुए इसने बाद में चाय, कॉफी और अन्य जरूरी सामानों की ट्रेडिंग शुरू कर दी. अगला कदम वाडिया ग्रुप ने साल 1879 में टेक्सटाइल कंपनी बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) की नींव डालते हुए बढ़ाया था. ये ब्रांज आज भी खासा फेमस है और इस सेक्टर में बड़ा नाम है. इसे नौरोजी वाडिया (Nowrojee Nusserwanjee Wadia) ने शुरू किया था.

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बॉम्बे डाइंग के बाद ग्रुप ने दूसरे सेक्टर्स में भी एंट्री लेनी शुरू कर दी. इसके तहत 1892 में कोलकाता में महज 295 रुपये के निवेश से एक फैक्ट्री में बिस्किट बनाना शुरू कर दिया गया. आज ये ब्रिटानिया (Britannia) FMCG कंपनी में तब्दील हो चुकी है.

देश को मिली आजादी तो बिजनेस को लगे पंख
गुलामी से लेकर आजाद भारत तक बिजनेस सेक्टर में अपनी कंपनियों के जरिए Wadia Group ने बड़ा योगदान दिया. ग्रुप की कमान भी नई पीढ़ियों के हाथ में आती गई और इसके साथ ही नए इनोवेशंस के साथ कारोबार बढ़ता चला गया. Wadia Group बुलंदियों पर पहुंचाने में वर्तमान चेयरमैन नुस्ली वाडिया का अहम रोल रहा. उन्होंने महज 26 साल की उम्र में 1977 में उस समय ग्रुप की कमान संभाली थी, जब उनके पिता Bombay Dyeing को बेचने की योजना बना रहे थे, लेकिन नुस्ली वाडिया ने ऐसा नहीं करने दिया. उनके नेतृत्व में कंपनी ने अन्य सेक्टर्स के साथ ही एविएशन सेक्टर तक ग्रुप की धाक जमा दी. Go Air (अब Go First) वाडिया ग्रुप की एयरलाइन कंपनी है.

वाडिया ग्रुप के बड़े बिजनेस और कंपनियों की बात करें, तो इसमें बॉम्बे डाइंग, ब्रिटानिया बिस्किट, बॉम्बे रियल्टी, वाडिया टेक्नो-इंजीनियरिंग सर्विसेज, बॉम्बे बर्मा, नेशनल पैराऑक्साइड और गो फर्स्ट शामिल हैं. 

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नेस वाडिया संभाल रहे हैं बड़ी जिम्मेदारियां
नुस्ली वाडिया (Nusli Wadia) वाडिया समूह के चैयरमैन हैं और अब 80 साल के हो चुके हैं. एफएमसीजी, टेक्सटाइल से लेकर एयरलाइंस और टेक कंपनियों का संचालन करने वाले इस सबसे पुराने कारोबारी घराने के कई बिजनेस नुस्ली वाडिया के बेटे नेस और जहांगीर वाडिया संभाल रहे हैं. Nes Wadia बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के एमडी हैं, जो कि इस कारोबारी घराने की ज्यादातर सब्सिडियरी कंपनियों को ऑपरेट करती है. इसके अलावा Britannia में नेस की बड़ी स्टेक होल्डिंग है. वहीं नुस्ली वाडिया के दूसरे बेटे जहांगीर वाडिया (Jehangir Wadia) एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

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