
ओपेक प्लस (OPEC+) देशों ने मौजूदा क्रूड ऑयल (Crude Oil) के उत्पादन में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. चीन (China) में क्रूड ऑयल की घटती मांग की वजह से कहा जा रहा था कि ओपेक प्लस देश क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में कटौती कर सकते हैं. 23 देशों के संगठन ने अक्टूबर के महीने में रोजाना दो मिलियन बैरल की भारी कटौती करने का फैसला किया था. ये कटौती अभी आगे बरकरार रहेगी. हालांकि, इस कटौती के जारी रहने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कितना बदलाव होगा इसको लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं है.
चीन में घटी मांग का असर
चीन में सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी की वजह से इंडस्ट्रीज का काम प्रभावित हुआ है, जिसके चलते वहां क्रूड की मांग में गिरावट आई है. इस वजह से ग्लोबल मार्केट (Global Market) में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल आयातक है. कच्चे तेल के प्रोडक्शन में कटौती नहीं करने का फैसला तब आया है, जब यूरोपीय संघ और G-7 में शामिल देश रूस के तेल पर प्रति बैरल 60 डॉलर का प्राइस लगाने पर राजी हो चुके हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार, 5 दिसंबर से ये फैसला लागू हो जाएगा.
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. अब उसके तेल पर प्राइस कैप लगाकर ये देश रूस को आर्थिक रूप से से और कमजोर करना चाहते हैं. रूस अपने तेल का निर्यात कर बड़ी राशि जुटाता है.
अक्टूबर में किया था कटौती का फैसला
ओपेक प्लस, जिसमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) शामिल है. रायटर्स के अनुसार, रूस सहित सहयोगी दलों ने अक्टूबर में क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में प्रति दिन दो मिलियन बैरल की कटौती करने का फैसला किया था. इसकी वजह से अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश नाराज हो गए थे. ओपेक प्लस देशों की ये कटौती ग्लोबल डिमांड की दो फीसदी है.
कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट
ओपेक+ देशों ने तेल के प्रोडक्शन में कटौती की वजह आर्थिक स्थिति को बताया. चीन में आई तेल की मांग में गिरावट, धीमी वैश्विक विकास दर और उच्च ब्याज दरों के कारण अक्टूबर से क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है. इस महीने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया.
भारत रूस बड़ी मात्रा में तेल आयात कर रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले जहां भारत रूस से केवल फीसदी तेल खरीदता था, ये आंकड़ा अब 20 फीसदी तक पहुंच चुका है. रूस के सस्ते तेल की वजह से भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनी दुनिया भर में मुनाफा कमाने वाली साबित हो रही हैं.
क्रूड के रेट में गिरावट का भारत में असर
अंतरराष्ट्रीय मार्केट में काफी समय से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी बनी हुई है. ऐसे में इंडियन ऑयल, BPCL-HPCL जैसी तेल मार्केटिंग कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के आसार बने हुए हैं. SMC ग्लोबल के अनुसार, क्रूड में एक डॉलर गिरावट आने पर भारतीय ऑयल कंपनियों को रिफाइनिंग पर 45 पैसे प्रति लीटर की बचत होती है.