
होटल बुकिंग कंपनी ओयो (OYO) की एक सब्सिडियरी के खिलाफ 16 लाख रुपये के विवाद के मामले में केस चलाने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने मंजूरी दे दी है. इस खबर के आते ही ओयो के दिवालिया होने की अफवाह फैल गई, जिस पर इसके फाउंडर और सीईओ रीतेश अग्रवाल को सफाई देनी पड़ी है.
ओयो का कहना है कि यह उसकी सब्सिडियरी कंपनी में 16 लाख रुपये के एक भुगतान का विवाद है, जो उसके मुताबिक कंपनी ने चुका दिए हैं.
क्या है मामला
NCLT ने 31 मार्च के अपने आदेश में कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है. NCLT ने OYO होटल्स ऐंड होम प्राइवेट लिमिटेड (OHHPL) को कर्ज देने वाली संस्थाओं से कहा है कि वे अपना दावा 15 अप्रैल तक पेश करें. असल में OHHPL ओयो की सब्सिडियरी यानी सहायक कंपनी है. ओयो ने NCLT के इस आदेश को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLAT) में चुनौती भी दी है.
क्या कहा सीईओ ने
OYO के फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज किया है कि ओयो ने दिवालिया होने के लिए अर्जी दाखिल की है. उन्होंने कहा कि 16 लाख रुपये के विवाद का मसला है जिसके बारे में लोगों को गलत सूचना मिली है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस बारे में गलत सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं.
क्या कहा ओयो ने
ओयो ने दावा किया है कि 16 लाख रुपये का जो विवाद है उसे पहले ही दावा करने वाली कंपनी को चुका दिया गया था. एक आधिकारिक बयान में OYO ने कहा कि उसे यह जानकर अचरज हुआ है कि NCLT ने एक कॉन्ट्रैक्ट के विवाद में OHHPL के खिलाफ याचिका को मंजूर किया है. ओयो के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने एक अपील दायर की है. यह मामला अभी कोर्ट में है. इसलिए फिलहाल हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते. हमारी न्यायिक प्रणाली में पूरी आस्था है.'