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Pawan Hans Handover: एअर इंडिया के बाद अब पवन हंस का नंबर, इतने में हुई बेचने की डील

घाटे में चल रही पवन हंस में सरकार ने अपनी 51% हिस्सेदारी Star9 Mobility को बेचने का फैसला कर लिया है. जून तक ये डील पूरी हो जाएगी. पवन हंस हेलिकॉप्टर सर्विस प्रोवाइड करती है.

जून तक पूरी होगी पवन हंस बेचने की डील जून तक पूरी होगी पवन हंस बेचने की डील
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST
  • जनवरी में पूरी हुई Air India की डील
  • ONGC भी बेच सकती है अपनी हिस्सेदारी
  • पवन हंस के लिए लगी 3 बोलियां

हेलिकॉप्टर सर्विस प्रोवाइड करने वाली सरकारी कंपनी Pawan Hans अब बहुत जल्द प्राइवेट होने जा रही है. सरकार ने कंपनी में मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ अपनी पूरी 51% हिस्सेदारी स्टार9 मोबिलिटी को देने का निर्णय कर लिया है. ये डील इसी साल जून तक पूरी होने की उम्मीद है.

211.14 करोड़ रुपये में हुई डील

पवन हंस लिमिटेड में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की डील 211.14  करोड़ रुपये में पूरी हुई है. पवन हंस लिमिटेड लंबे समय से घाटे में चल रही है. ये सरकार और लोक उपक्रम (PSU) ओएनजीसी का जॉइंट वेंचर है. इसमें ONGC के पास 49% हिस्सेदारी है.  इस डील के लिए सरकार ने रिजर्व प्राइस 199.92 करोड़ रुपये रखा था. जबकि पूरी कंपनी की वैल्यू 414 करोड़ रुपये आंकी गई है.

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ONGC भी बेच सकती है अपनी हिस्सेदारी

सरकारी कंपनी ONGC ने पहले ही कहा था कि पवन हंस के विनिवेश के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में जो भी सफल होगा, उसे वह अपनी 49% हिस्सेदारी भी बेच देगी. अब जब सरकार ने स्टार9 मोबिलिटी का चुनाव कर लिया है, तो ONGC के पास अपने शेयर ऑफर करने के लिए 7 दिन का समय है. वहीं इसके बाद Star9 Mobility के पास भी ओएनजीसी के ऑफर को स्वीकार करने के लिए और 7 दिन का समय है. स्टार9 के पास ओएनजीसी के ऑफर को चुनने और ना चुनने दोनों का अधिकार है. ONGC को अपनी हिस्सेदारी के बदले 202.86 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.

Star9 को मिलेगा 42 हेलिकॉप्टर का बेड़ा

अब जब पवन हंस को बेचने की डील फाइनल हो गई है. तो इसे जीतने वाली कंपनी को 42 हेलकॉप्टर का बेड़ा मिलेगा. इनमें से अधिकतर की ऑपरेशनल लाइफ 20 साल से ज्यादा है.

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पवन हंस के लिए आई 3 बिड

सरकार को पवन हंस के लिए 3 बोलियां मिली थीं. इसमें एक बोली 181.05 करोड़ रुपये की थी. जबकि दूसरी बोली 153.15 करोड़ रुपये की. केवल Star9 Mobility की बोली सरकार के रिजर्व प्राइस से ज्यादा थी. Star9 Mobility एक कंपनी समूह है जो Big Charter Private Limited, Maharaja Aviation Private Limited और Almas Global Opportunity Fund ने मिलकर बना है.

इस डील पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार ने एक नई कंपनी को कैसे पवनहंस सौंप दी, इस पर सरकार ने सफाई दी है कि महाराजा एविएशन 2008 में बनी कंपनी है. जबकि बिग चार्टर 2014 से और एलमस ग्लोबल अपॉरचुनिटी फंड, एलमस कैपिटल के तहत 2017 से काम कर रही है. 

जनवरी में पूरी हुई Air India की डील

एविएशन सेक्टर से अब सरकार लगभग बाहर हो गई है, क्योंकि इसी साल जनवरी में सरकार ने पब्लिक एयरलाइन Air India में अपनी पूरी हिस्सेदारी Tata Group को बेचने का सौदा पूरा किया था. ये सौदा 18,000 करोड़ रुपये का था. 

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