
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर के मंथली बुलेटिन में कहा है कि अगले साल ग्लोबल इकॉनमी पर ऊंची ब्याज दर का साया मंडराएगा. बुलेटिन के मुताबिक 2022 में जिस तरह से दुनियाभर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई है उससे 2023 में दुनियाभर में आर्थिक सुस्ती का माहौल बना रह सकता है. RBI ने कहा है कि ग्लोबल इकोनॉमी आउटलुक में जोखिम बरकरार है. इसके साथ ही उभरती अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार पर ज्यादा महंगाई दर और करंसी की वैल्यूएशन में आई गिरावट की वजह से खतरा बरकरार है.
विकास दर में गिरावट की आशंका
RBI ने हाल ही में हुई मौद्रिक समिति की बैठक के बाद 2022-23 के लिए विकास दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. इसके साथ ही महंगाई कंट्रोल करने के लिए बेंचमार्क लेंडिंग रेट को 35 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया गया है. हालांकि पिछले कुछ वृद्धियों में 50-50 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा किया गया था.
अब महंगाई दर में गिरावट आने से बढ़ोतरी के सिलसिले की रफ्तार कम कर दी गई है. अक्टूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर 4.4 प्रतिशत किया गया है जबकि जनवरी-मार्च 2023 के लिए विकास दर का अनुमान 4.2 फीसदी कर दिया गया था.
भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत बनी रहेगी
रिजर्व बैंक के मुताबिक भारत की विकास दर के अनुमान में मामूली गिरावट की आशंका के बावजूद इसमें मजबूती बनी रहेगी. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारत में अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियां इस साल मजबूत बनी हुई हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का भरोसा ग्रोथ इंडिकेटर्स से भी मिल रहा है. आरबीआई जिन 70 इंडिकेटर्स पर नजर रखता है उनमें से अधिकांश में तेजी का माहौल बना हुआ है.
महंगाई कंट्रोल करने में जुटा RBI
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार और RBI मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ के बीच कोई ज्यादा अंतर नहीं हैं. उनके अनुसार 2 दिसंबर, 2022 तक, कुल क्रेडिट ग्रोथ 19 लाख करोड़ रुपये और डिपॉजिट ग्रोथ 17.5 लाख करोड़ रुपये थी.
उभरती अर्थव्यवस्थाएं देंगी सहारा!
आरबीआई के बुलेटिन में कहा गया है कि एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाएं दुनिया के विकास का इंजन बनेगी और 2023 में ग्लोबल ग्रोथ में लगभग तीन-चौथाई और 2024 में करीब तीन-5वां हिस्सा एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का होगा. यानी अगले साल वैश्विक विकास दर को बढ़ाने का जिम्मा विकसित देशों की जगह विकासशील देशों पर आ जाएगा जिसमें कि ज्यादातर हिस्सेदारी एशियाई देशों की होगी.