
तेल कंपनियों ने अगर मार्जिन को दुरुस्त करने यानी अपने घाटे को दूर करने का प्रयास किया तो पेट्रोल के दाम में 5.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 3 रुपये लीटर तक की बढ़त हो सकती है. क्रेडिट सुईस की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
गौरतलब है कि पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के खत्म होते ही तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने का सिलसिला शुरू कर दिया है. मंगलवार को दिल्ली में पेट्रोल जहां 15 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ तो डीजल में भी 18 पैसे प्रति लीटर की बढ़त हुई. इसके बाद बुधवार को यानी आज सरकारी तेल कंपनियों ने फिर पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी की. दिल्ली में पेट्रोल में 19 पैसे और डीजल में 21 पैसे प्रति लीटर की बढ़त की गई है.
क्या कहा गया रिपोर्ट में
क्रेडिट सुईस की हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की की बढ़ती कीमत की वजह से अब कंपनियां अपना मार्केटिंग मार्जिन सुधारने पर जोर देंगी.
क्रेडिट सुईस ने एक रिसर्च नोट में कहा है, 'राज्यों के चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं, हमें लगता है कि अब तेल मार्केटिंग कंपनियां ईंधन की खुदरा कीमतों में बढ़त शुरू करेंगी. तेल कंपनियों को अगर अपना मार्जिन वित्त वर्ष 2019-20 के लेवल पर ही बनाए रखना है तो उन्हें डीजल की खुदरा कीमत में 2.8 से 3 रुपये लीटर और पेट्रोल की खुदरा कीमत में 5.5 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करनी होगी.'
कच्चे तेल की लागत में करीब 24 फीसदी की बढ़त
रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी से अब तक पेट्रोल की कीमत में करीब 8 फीसदी की बढ़त हुई है, जबकि इस दौरान भारतीय बॉस्केट क्रूड यानी कच्चे तेल की लागत में करीब 24.2 फीसदी की बढ़त हो चुकी है और यह 64.51 डॉलर प्रति बैरल के करीब है. तेल कंपनियों को करीब 3 रुपये प्रति लीटर का डीलर को मार्केटिंग मार्जिन भी देना पड़ता है. चुनावी माहौल में करीब दो महीने तक कंपनियों ने तेल के दाम में कोई बढ़त नहीं की थी.