
साल था 2014... इलाहाबाद के निम्न आय वर्ग के एक परिवार से आने वाले इंजीनियरिंग के एक छात्र अलख पांडेय (Alakh Pandey) अपने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर घर लौट आए. पिता ने जब कारण पूछा तो बताया कि मजा नहीं आ रहा था. पिता बेहद नाराज हुए. दरअसल उन्होंने जिंदगी में बड़ी दिक्कतें झेली थीं. वे नहीं चाहते थे कि उनके बेटे के साथ भी ऐसा ही हो.
Alakh Pandey के परिचय से शुरू करते हैं. आज उनका एक परिचय यह हो सकता है कि वे एडटेक की एक यूनीकॉर्न कंपनी 'फिजिक्सवाला’(physicswallah) के संस्थापक हैं. एक परिचय में यह भी कहा जा सकता है कि देश में फिलहाल उनके 21 ऑफलाइन कोचिंग सेंटर चल रहे हैं.
लेकिन उनका सबसे मौजूं परिचय शायद यही होगा कि प्रयागराज के कालिंदीपुरम इलाके से गुरबत झेलकर निकला एक ऐसा नौजवान, जिसने थोड़े ही समय में अपनी मेहनत और हुनर से वह मुकाम हासिल किया, जो गिने चुने लोगों के ही हिस्से आता है.
अलख का बचपन निर्मम आर्थिक तंगी में बीता था. उनके पिता एक कंस्ट्रक्शन ठेकेदार हुआ करते थे, लेकिन कारोबार में उन्हें लगातार घाटा हो रहा था. जब अलख तीसरी क्लास में थे तब प्रयागराज के साउथ मलाका इलाके के घर का आधा हिस्सा बिक चुका था.
परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब में
छठी क्लास तक आते-आते उनका पूरा घर बिक गया. उस दौर को याद करते हुए अलख कहते हैं, 'हम लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि आठवीं में पढ़ते हुए मैं पांचवीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहा था. मेरी मां एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थीं. बहन भी ट्यूशन पढ़ा रही थीं. इस तरह हम सब घर का खर्चा चलाने के लिए कुछ न कुछ कर रहे थे.'
12वीं के बाद अलख ने घर पर पढ़ाई करके हुए ही उत्तर प्रदेश का प्री-इंजीनियरिंग एग्जाम दिया. इसमें उनकी रैंक 600 के आस-पास थी. उन्हें सूबे के सबसे अच्छे सरकारी कॉलेजों में शुमार कानपुर के 'हरकोर्ट बटलर टेक्निकल इंस्टीट्यूट' की मैकेनिकल ब्रांच में दाखिला मिल गया. कॉलेज के दूसरे साल में उन्होंने कानपुर के ही एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाना शुरू कर दिया.
कानपुर में बीते दिन बड़े संघर्ष और फाकाकशी के थे. अलख 8 गुणा 8 के कमरे में अपने एक साथी के साथ रहते थे. कॉलेज की फीस तो एजुकेशन लोन से निकल जाती थी लेकिन खुद और साथ-साथ घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था. उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला कर लिया. वे आज भी खुद को 'फिफ्टी परसेंट मैकेनिकल इंजीनियर' कहते हैं.
प्रयागराज आने के बाद उन्होंने कुछ वक्त कोचिंग में बच्चों को पढ़ाया. अलख का पढ़ाने का तरीका अलग था. वे स्कूल के दिनों से थिएटर करते आए थे. उन्होंने इसका इस्तेमाल फिजिक्स को रोचक बनाने के लिए किया. बच्चों को उनका यह तरीका पसंद आने लगा. उनके बैच में भीड़ भी बढ़ने लगी. अलख ने अब और गंभीरता से सोचना शुरू किया कि वे कैसे और ज्यादा स्टूडेंट्स के पास पहुंच सकते हैं. इसका जवाब था यूट्यूब.
'फिजिक्सवाला अलख' है पहचान
साल 2015 में अलख ने यूट्यूब पर अपना एक चैनल बनाया. नाम रखा 'फिजिक्सवाला अलख.' इसी नाम से एक फेसबुक पेज भी बनाया गया. शुरुआत में अलख ने अपने पेज से साइंस मीम और क्विज डालना शुरू किया. 2016 में अलख ने यूट्यूब के लिए वीडियो शूट करना शुरू किया. लेकिन वहां पर कोई खास सफलता नहीं मिल रही थी.
2017 में दो चीजें हुई. पहला भारत में सस्ती 4जी सर्विस का आना. दूसरा अलख का रणनीति बदलना. अलख खुद आइसीएसई बोर्ड से पढ़े थे. उन्हें अच्छे से पता था कि इस बोर्ड में पढ़ने वाले बच्चे साधनसंपन्न वर्ग से आते हैं और इंटरनेट पर उनके लिए कोई खास स्टडी मटीरियल उपलब्ध नहीं था.
अलख ने इन छात्रों को टारगेट करना शुरू किया. उन्हें जल्दी ही इसके अच्छे नतीजे दिखने लगे. 2018 में अलख को यूट्यूब से 8,000 रुपये का पहला चेक आया. इस समय उनके चैनल पर करीब 50,000 सब्सक्राइबर थे. उन्होंने कोचिंग की नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया.
कोरोना संकट में ऑनलाइन कोर्स का क्रेज
2020 तक अलख यूट्यूब पर मुफ्त क्लास लेते रहे. उनकी कमाई का एक मात्र जरिया यूट्यूब से आया पैसा था. लेकिन मार्च 2020 में आए कोरोना ने एडटेक के लिए नई संभावनाओं का दरवाजा खोल दिया. अलख को इस समय एक नए साथी मिले, प्रतीक माहेश्वरी.
उन्होंने पहली बार 'फिजिक्सवाला' के लिए ऐप डिजाइन की. इस समय तक कई दूसरे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म आ चुके थे. अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग अलख ने महज दो-तीन हजार रुपये प्रति विषय के हिसाब से कोर्स ऑफर किए. उनके पहले ऑनलाइन बैच में 60,000 से ज्यादा छात्रों ने दाखिला लिया. इसके बाद अलख ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिलहाल अलख पांडेय की उम्र 30 वर्ष है, और कुल संपत्ति करीब 4 हजार करोड़ रुपये हैं.
अलख की कहानी एक छोटे शहर के कमजोर आर्थिक परिवेश से निकले नौजवान के संघर्ष की कहानी है. अलख की कहानी भारत में तेजी से उभर रहे एडटेक की सफलता की कहानी है. फिलहाल वे हिंदी और अंग्रेजी से इतर दूसरी भारतीय भाषाओं में नए चैनल लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं.
(इंडिया टुडे हिन्दी के लिए विनय सुल्तान की रिपोर्ट)