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GST के दायरे में आए पेट्रोल-डीजल तो आम लोगों के लिए क्या होगी कीमत? जानिए PK के दावे के मायने

प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार 303 सीटें के साथ बहुमत में आ सकती है और सत्ता में आने के बाद सरकार सबसे पहला काम राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने का काम कर सकती है.

प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव को लेकर जताया ये अनुमान प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव को लेकर जताया ये अनुमान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

देश में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) जारी हैं और पांच चरण का मतदान पूरा हो चुका है. कुल सात चरण की वोटिंग होनी है और 4 जून 2024 को नतीजे आने के बाद साफ हो जाएगा कि देश की सत्ता किसके हाथ में होगी. हालांकि, चुनावी नतीजों से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के फिर वापसी करने की भविष्यवाणी हो रही है और साथ ही कहा जा रहा है कि इस बार पीएम मोदी कई बड़े फैसले ले सकते हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इस बारे में आजतक के साथ खास बातचीत में इनके बारे में विस्तार से बताया है. इसमें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी (Petrol-Diesel GST) के दायरे में लाया जाना शामिल है. 

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100 दिन के एजेंडे में हो सकता है ये कदम

'आजतक' के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार 303 सीटें के साथ बहुमत में आ सकती है और सत्ता में आने के बाद सरकार सबसे पहला काम राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने का काम कर सकती है. मतलब केंद्र कुछ ऐसे फैसले ले सकता है, जिससे राज्यों के रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है. इसके लिए सबसे बड़ा कदम पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाना हो सकता है. हालांकि, इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है और इस बार सरकार के 100 दिन के एजेंडे में इसे भी शामिल माना जा रहा है. 

इस फैसले को राज्यों पर क्या होगा असर? 

प्रशांत किशोर (PK) के मुताबिक, राज्यों के पास फिलहाल राजस्व के तीन सबसे प्रमुख स्रोत हैं और इनमें पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा शराब और भूमि शामिल हैं. ऐसे में अगर मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला करती है, तो फिर राज्यों को राजस्व में कमी देखने को मिल सकती है. वहीं दूसरी ओर केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का और भी ज्यादा कंसन्ट्रेशन होगा.

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अगर पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो फिर पेट्रोल-डीजल के दाम मौजूदा कीमत से काफी कम हो सकते हैं. यानी इस फैसले से राज्य की कमाई पर असर देखने को मिल सकता है. हालांकि, जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, वो ये होगा कि पेट्रोल-डीजल के जीएसटी के दायरे में आने पर राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा. हालांकि, ऐसे में जो पैसा राज्यों को पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स के जरिए सीधे मिल जाता था, अब वो केंद्र के पास जाएगा और राज्यों को वहां से मिलेगा.

इस तरह से कमाई करती हैं राज्य-केंद्र सरकारें

ऐसा नहीं है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से सिर्फ राज्यों की कमाई पर असर पड़ेगा, बल्कि केंद्र की आय भी प्रभावित होगी. Petrol-Diesel Price पर टैक्स के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई का बड़ा जरिया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के खजाने में ही जाता है. इसे जानने के लिए ये कैलकुलेशन समझना बेहद जरूरी है कि पेट्रोल-डीजल पर आप कितना टैक्स दे रहे हैं. 

बता दें कि अब समझ लेते हैं कि एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकार आपसे कितना टैक्स वसूलती हैं. उदाहरण के तौर पर देखें तो 23 मई 2023 दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल भरवाने के लिए 94.72 रुपये खर्च करने पड़ रहे थे. इसमें 35 रुपये के आस-पास टैक्स शामिल होता है, जिसमें करीब 20 रुपये केंद्र सरकार के खजाने में पहुंचता है और लगभग 15 रुपये राज्य सरकार के पास पहुंचता है. 

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कितना वैट वसूल कर रही राज्य सरकारें? 

केंद्र को जहां एक्साइज ड्यूटी के जरिए कमाई होती है. पेट्रोल-डीजल के दाम राज्यों में अलग-अलग होते हैं और ये इसलिए क्योंकि राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से वैट लगाकर कमाई करती हैं. जैसे आंध्र प्रदेश में 31%, कर्नाटक में 25.92%, महाराष्ट्र में 25% और झारखंड में पेट्रोल पर 22% के करीब वैट वसूला जाता है. वहीं डीजल की बात करें तो इस पर आंध्र प्रदेश में 22%, छत्तीसगढ़ में 23%, झारखंड में 22% और महाराष्ट्र में 21% वैट लगता है. इसी तरह अन्य राज्यों में भी इसकी वसूली की जाती है और सरकारों की कमाई होती है. 

केंद्र की ताकत बढ़ेगी... आम लोगों का खर्च घटेगा

इस हिसाब से देखें तो वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर सरकारें 60 फीसदी से भी ज्यादा टैक्स वसूलती हैं. ऐसे में अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इस भारी-भरकम टैक्स की छुट्टी हो जाएगी और जीएसटी के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा और सरकार अधिकतम 28 फीसदी की दर से टैक्स ही लगा पाएगी. यानी टैक्स घटेगा और पेट्रोल-डीजल के दाम एक दम से काफी कम हो जाएंगे. वहीं दूसरी ओर पूरी बाजी केंद्र सरकार के हाथ में होगी.

अगर केंद्र पेट्रोल पर अधिकतम 28 फीसदी का जीएसटी भी लगाती है, तो एक लीटर पेट्रोल की कीमत 70 रुपये के आस-पास होगी. दरअसल, एक्साइज ड्यूटी और वैट को मिलाकर राजधानी दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये चल रही है, अब वैट और एक्साइज ड्यूटी को हटाकर इस पर 28 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा, तो फिर डीलर को मिलने वाले 55.36 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल में महज 15.50 रुपये का इजाफा दिखाई देगा और ये 70.86 रुपये प्रति लीटर का मिलेगा. इसी हिसाब से डीजल की कीमत भी कम होगी. 

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सरकार उठा सकती है ये कदम!

GST के दायरे में पेट्रोल और डीजल के आने के बाद जहां आम लोगों को फायदा होगा और उनका खर्च घटेगा, तो वहीं केंद्र और राज्यों की कमाई भी कम होगी. क्योंकि जीएसटी के तहत अधिकतम टैक्स स्लैब 28 फीसदी का है. ऐसे में सरकार ऐसा भी कर सकती है कि पेट्रोल-डीजल के लिए जीएसटी के स्लैब में कुछ संशोधन करे और अलग से स्लैब बना दिया जाए जो 28 फीसदी से ज्यादा का हो. इस तरह से सरकार टैक्स के जरिए होने वाली इनकम में आने वाली कमी की भरपाई कर सकती है. हालांकि, ये देखने वाली बात होगी

वित्त मंत्री बोलीं- GST से मिला राज्यों को फायदा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी आजतक के साथ खास बातचीत में जीएसटी को लेकर बात की. दरअसल, उनसे सवाल किया गया कि विपक्ष GST को गब्बर सिंह टैक्स कह रहा है, तो उन्होंने कहा कि देश में जीएसटी लागू होने के बाद सकारात्मक बदलाव देखने को मिली है. इससे लगातार फायदा हो रहा है और स्टेट्स का रेवेन्यू में भी इजाफा दर्ज किया गया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि GST से राज्यों को पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स मिल रहा है. 

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