Advertisement

लेबर लॉ में बदलाव, सरकारी कंपनियों के निजीकरण खिलाफ मजदूर संगठनों का प्रदर्शन 

श्रम कानूनों में बदलाव के लिए तीन बिल लाने, सरकारी कंपनियों के निजीकरण, कई प्रमुख सेक्टर को 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी (FDI) के लिए खोलने के ​खिलाफ आज 10 श्रमिक संगठनों के द्वारा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. 

सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो) सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 23 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
  • केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन
  • 10 मजदूर संगठनों का सामूहिक विरोध प्रदर्शन
  • लेबर लॉ में बदलाव, PSU के निजीकरण का विरोध

केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव के लिए तीन बिल लाने, सरकारी कंपनियों के निजीकरण, कई प्रमुख सेक्टर को 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी (FDI) के लिए खोलने के ​खिलाफ आज 10 श्रमिक संगठनों के द्वारा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. 

गौरतलब है कि लोकसभा में मंगलवार को ही श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर तीन बिल पारित किये गये हैं. अभी इन्हें राज्यसभा में पारित होना है. इसके पहले श्रम कानून में बदलाव का एक बिल संसद द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका है. इन सभी कानूनों के द्वारा सरकार कारोबार जगत को ज्यादा आजादी देना चाहती है, लेकिन ट्रेड यूनियन्स का कहना है कि यह पूरी तरह से श्रमिक हितों के खिलाफ है. 

Advertisement

विरोध प्रदर्शन में शामिल संगठन 

केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी ​नीतियों को लेकर राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुधवार सुबह 11 बजे श्रमिक संगठनों का प्रदर्शन शुरू हुआ. प्रदर्शन में शामिल दस राष्ट्रीय संगठन इस प्रकार हैं- INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC. इनके अलावा कई क्षेत्रीय और सेक्टरवार संगठन भी शामिल हैं. 

क्या कहा इन संगठनों ने 

इन संगठनों द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि वे, 'सार्वजनिक कंपनियों के विनिवेश और निजीकरण और अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं' उनका कहना है कि केंद्र सरकार की ये ​नीतियां देश के आम कामगारों के खिलाफ हैं. 

क्या हैं मांगें 

इसके अलावा श्रम संगठनों की मांग है कि लॉकडाउन के महीनों का कामगारों को वेतन दिया जाए, किसी भी कर्मचारी की छंटनी न हो, सभी जरूरतमंद लोगों को राशन दिया जाए, असंगठित क्षेत्र के सभी कामगारों और स्वरोजगार करने वालों को कम से कम छह महीने तक 7,500 रुपये की नकद सहायता राशि दी जाए.  

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement