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इकोनॉमी में अभी कई 'काले धब्बे', रघुराम राजन बोले- बजट में खुले हाथ खर्चे की गुंजाइश कम

Raghuram Rajan ने कहा कि बजट एक फ्यूचर का दस्तावेज होता है, जो प्लान को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि मैं बजट में भारत के लिए 5 या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं.

Raghuram Rajan on Indian Economy Raghuram Rajan on Indian Economy
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:50 PM IST
  • देश का बजट एक फ्यूचर का दस्तावेज
  • अर्थव्यवस्था में चमक के साथ गहरे काले धब्बे भी होते

भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है. अगर सरकार चाहती है कि इकोनॉमी में पूरी तरह से रिकवरी आए तो इसके लिए कई बड़े फैसले लेने की जरूरत है. भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने इकोनॉमी को लेकर कई अहम बातें कहीं हैं. उन्होंने कहा कि बजट (Budget 2022) में सरकार को इकोनॉमी को लेकर एक मजबूत लकीर खींचनी चाहिए. 

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Raghuram Rajan ने कहा कि बजट एक फ्यूचर का दस्तावेज होता है, जो प्लान को दर्शाता है. मैं बजट में भारत के लिए 5 या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं. लोगों को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं. लेकिन सरकार के पास सीमित संसाधन है, यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं.

इकोनॉमी अभी संकट में 

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में चमकीले स्थानों के साथ कुछ काले धब्बे’ भी हैं, ऐसे में सरकार को अपने खर्च को सावधानी से 'लक्षित' करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके.‘

रघुराम राजन अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से रखने के लिए जाने जाते हैं. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था के 'के' आकार (K-Shaped Recovery) के पुनरुद्धार को रोकने के लिए और उपाय करने की जरूरत है. सामान्य तौर पर K-आकार के पुनरुद्धार में प्रौद्योगिकी और बड़ी पूंजीगत कंपनियों की स्थिति महामारी से अधिक प्रभावित छोटे व्यवसायों और उद्योगों की तुलना में तेजी से सुधरती है. 

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मांग में अभी भी कमी 

रघुराम राजन ने पीटीआई को ई-मेल के जरिये दिए इंटरव्यू में कहा, 'अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीजें दबी मांग से शुरुआती पुनरुद्धार के बाद 'खेल' में आएंगी.'

उन्होंने कहा कि इन सभी का ‘लक्षण’ कमजोर उपभोक्ता मांग है. विशेषरूप से व्यापक स्तर पर इस्तेमाल वाले उपभोक्ता सामान की मांग काफी कमजोर है. रघुराम राजन फिलहाल शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हमेशा चमकदार स्थानों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं. 

उन्होंने कहा कि चमकदार क्षेत्रों की बात की जाए, तो इसमें स्वास्थ्य सेवा कंपनियां आती हैं. इनके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और आईटी-संबद्ध क्षेत्र जबर्दस्त कारोबार कर रहे हैं. कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन) बने हैं और वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं. 

RBI के पूर्व गवर्नर ने कहा, 'काले धब्बों की बात की जाए, तो बेरोजगाारी, कम क्रय शक्ति (विशेषरूप से निम्न मध्यम वर्ग में), छोटी और मझोले आकार की कंपनियों का वित्तीय दबाव इसमें आता है.' इसके अलावा काले धब्बों में ऋण की सुस्त वृद्धि और हमारे स्कूलों की पढ़ाई भी आती है.

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ओमिक्रॉन भी एक चुनौती 

रघुराम राजन ने कहा कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमिक्रॉन (Omicron) मेडिकल और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार को K-Shape के पुनरुद्धार के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा कि हमें K आकार के पुनरुद्धार को रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए.

चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 9 फीसदी रहने का अनुमान है. बीते वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट आई थी. वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाने चाहिए या प्रोत्साहन उपायों को जारी रखना चाहिए. महामारी के आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं. 

उन्होंने कहा कि जहां जरूरत है, वहां सरकार खर्च करे. लेकिन हमें खर्च सावधानी से करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटा बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच जाए. मुद्रास्फीति के बारे में रघुराम राजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी देशों के लिए 'महंगाई' चिंता का विषय है और भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता.

 

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