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रघुराम राजन बोले- कोरोना के सबसे बुरे दौर बीते, अब भी दबाव में इकोनॉमी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) का कहना है कि देश के सामने बेरोजगारी (Employment) और महंगाई (Inflation) जटिल मुद्दा है.

इकोनॉमी में सुधार के संकेत इकोनॉमी में सुधार के संकेत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST
  • अब वायरस से लड़ने पर किया जा रहा है खर्च
  • कोरोना की वजह से बच्चों की पढ़ाई संकट में

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) का कहना है कि देश के सामने बेरोजगारी (Employment) और महंगाई (Inflation) जटिल मुद्दा है. इस फ्रंट पर सरकार को और कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट दुनिया के लिए एक चुनौती है. 

रघुराम राजन की मानें तो कोरोना के सबसे बुरे दौर गुजर चुके हैं, और अब स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां भी पहले के मुकाबले बेहतर हुई हैं. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे अस्पतालों में अब सुविधाएं बढ़ी हैं. पहले कोरोना को लेकर कोई रोडमैप नहीं था. अब वायरस से लड़ने पर खर्च किया जा रहा है. 

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ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर ये जवाब

हालांकि उन्होंने कहा कि अभी भी ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों की स्थिति बेहतर नहीं है. जहां तक कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) की बात है तो इस नए वैरिएंट के तेजी से बढ़ने के कोई संकेत नहीं मिले हैं, इसलिए बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. अब लोग भी सतर्क हैं. 

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने 'इंडिया टुडे' से खास बातचीत में कहा कि बेरोजगारी दर में इजाफा चिंता का विषय है. खासकर शहरी बेरोजगारी में बढ़ोतरी को लेकर कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बाद रिकवरी को लेकर दुनिया में दो तरह की तस्वीरें सामने आई हैं. कुछ देश हैं जो बहुत बेहतर कर रहा है, वहीं कुछ देश है जो बेहतर कर रहा है. ऐसे में भारत भी बेहतरी की राह पर है. 
 

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कुछ सेक्टर्स में डिमांड बढ़ी

इकोनॉमी के मुद्दे पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि कुछ सेक्टर्स में डिमांड बढ़ी है, खासकर सर्विस सेक्टर से अच्छे संकेत मिल रहे हैं. लेकिन इस बीच कीमतों में बढ़ोतरी यानी महंगाई एक मुद्दा बन रहा है. डिमांड बढ़ने के साथ महंगाई भी बढ़ी है. क्योंकि सप्लाई के मुकाबले डिमांड ज्यादा होने से महंगाई प्रभावित होती हैं, यानी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि सप्लाई के मोर्चे पर भी कुछ सेक्टर्स में दबाव है.  
जहां तक अर्थव्यवस्था में रिकवरी की बात है तो इसपर हैरान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि कुछ सेक्टर्स ने कोरोना संकट के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया हैं, जिसमें आईटी और कृषि है. भारतीय इकोनॉमी में इससे भी ज्यादा ग्रोथ की संभावना है. 

उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर में तेजी से ग्रोथ देखी गई है, लेकिन वहीं ट्रेडिशनल मैन्युफैक्चरिंग संकट में है. दोनों में समुचित ग्रोथ से ही देश की आर्थिक तस्वीर बदल सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार का जॉब बढ़ाने पर फोकस होना चाहिए. पिछले दिनों कृषि में लोगों की भागीदारी 36 फीसदी से बढ़कर 39 फीसदी पहुंच गई, इसका मतलब है कि लोकल मैन्युफैक्चरिंग दबाव में है. 

एजुकेशन फील्ड में बहुत कुछ करने की जरूरत

रघुरान राजन की मानें तो यूनिकॉन के लिए बेहतर समय है, उन्होंने कहा कि पेटीएम को छोड़ दें तो बाकी यूनिकॉन बेहतर कर रहे हैं. इसकी लंबी लिस्ट है. इसलिए इस पर फोकस होना चाहिए. इस सेक्टर में जॉब पैदा करने की भी ताकत है. 

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इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत सरकार को एजुकेशन फील्ड में बहुत कुछ करने की जरूरत है. यह क्षेत्र में पहले से ही संकट में था और कोरोना की वजह से और परेशानी बढ़ गई. एजुकेशन क्षेत्र में सुधार के लिए निवेश की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से बहुत से बच्चों की पढ़ाई छूट गई हैं, ऐसे बच्चों के भविष्य को संवारने की जरूरत है.

 

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