
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बीते सप्ताह महाराष्ट्र के PMC Bank के मुश्किल वक्त से बाहर आने का रास्ता साफ कर दिया था. केन्द्रीय बैंक ने Centrum Financial Services को बैंक का टेकओवर करने और एक स्मॉल फाइनेंस बैंक बनाने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. अब इसी बीच RBI ने PMC Bank पर लगे प्रतिबंधों को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है.
अधिग्रहण पूरा होने तक रहेंगे प्रतिबंध
RBI ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि PMC Bank को संकट से बाहर निकालने के लिए उसके टेकओवर की अनुमति दी गई है. ऐसे में जब तक सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेस बैंक का पूरी तरह से अधिग्रहण नहीं कर लेती, उस पर लगे नियामकीय प्रतिबंध जारी रहेंगे. इसीलिए इन प्रतिबंधों की समयसीमा को छह महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दिया गया है.
केन्द्रीय बैंक का कहना है कि PMC Bank के अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाओं और एक स्मॉल फाइनेंस बैंक के गठन में वक्त लगेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय किया गया है.
पिछले हफ्ते दी थी स्मॉल बैंक बनाने की मंजूरी
भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब और महाराष्ट्र को-ओपरेटिव बैंक (PMC Bank) के संकट को दूर करने के लिए पिछले हफ्ते Centrum Financil Service के इसे एक स्मॉल फाइनेंस बैंक में कन्वर्ट करने के ऑफर को ‘सैद्धांतिक’ तौर पर मंजूर कर लिया है. RBI ने अपने बयान में कहा कि PMC Bank के लिए 3 नवंबर 2020 को ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके जवाब में सेन्ट्रम फाइनेंशियल सर्विसेस ने 1 फरवरी 2021 को एक ऑफर पेश किया. केन्द्रीय बैंक ने उसके इस विशेष ऑफर को सैद्धांतिक तौर पर मंजूर कर लिया है.
केन्द्रीय बैंक ने कहा कि ये मंजूरी निजी क्षेत्र में स्मॉल फाइनेंस बैंक के लिए बनाई गई सामान्य ‘ऑन-टैप’ गाइडलाइंस के तहत दी गई है जिसे 5 दिसंबर 2019 को जारी किया गया था.
इसलिए लगे थे प्रतिबंध
PMC Bank पर केंन्द्रीय बैंक ने सितंबर 2019 में प्रतिबंध लगाए थे और तब से इसकी समय सीमा और नियम-शर्तों को समय-समय पर बदला जा चुका है. शुरुआत में आरबीआई ने PMC Bank के ग्राहकों को 1,000 रुपये की निकासी की ही अनुमति दी थी. बाद में इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया था. PMC Bank पर प्रतिबंध लगाने की वजह उसके कुल 8,383 करोड़ रुपये के ऋण में से 70% एक ही कंपनी HDIL को देना और अन्य कई गड़बड़ियों का उजागर होना था.
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