
त्योहारों से भरे अक्टूबर महीने में लोगों को एक बड़ा झटका लग सकता है. दरअसल, ऐसी आशंका है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट (Repo Rate) में वृद्धि करने की तैयारी कर रहा है. केंद्रीय बैंक के निर्धारित लक्ष्य से लगातार ऊपर बनी महंगाई दर को काबू में करने के लिए आरबीआई ये कदम उठा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो फिर कर्ज महंगा होने के साथ आप पर ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ जाएगा.
लगातार चौथी बढ़ोतरी की तैयारी
पीटीआई के मुताबिक, रिजर्व बैंक (RBI) मंहगाई पर काबू पाने के लिए लगातार चौथी बार रेपो दर (Repo Rate) में इजाफा कर सकता है. बीते दिनों आई रिपोर्टों को देखें तो इसमें 0.50 फीसदी के इजाफे की आशंका जताई जा रही है. अब रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) समेत अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंकों का अनुसरण करते हुए शुक्रवार को लगातार चौथी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है.
30 सितंबर को सामने आएगा फैसला
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू होना प्रस्तावित है और इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी शुक्रवार 30 सितंबर को दी जाएगी. बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में चीफ इकोनोमिस्ट मदन सबनवीस (Madan Sabnavis) का कहना है कि महंगाई दर 7 फीसदी के पास बनी रह सकती है. ऐसे में रेपो रेट में इजाफा होना तय लगता है. उन्होंने अनुमान जताया कि 0.25 से 0.35 फीसदी की वृद्धि संभव है. वहीं विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हालिया घटनाक्रमों को देखें तो फिर 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है.
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट में भी रेपो रेट में 0.50 फीसदी की वृद्धि की आशंका व्यक्त की गई थी. इसके अलावा इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर (Aditi Nayar) को भी मौद्रिक नीति समिति से 50 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि की आशंका है. नोमुरा (Nomura) और मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) ने भी अपनी रिपोर्टों में रेपो रेट में 35 बीपीएस का इजाफा होने का अनुमान लगाया है
तीन बढ़ोतरी के बाद इतनी रेपो दर
गौरतलब है कि RBI ने देश में महंगाई (Inflation) को काबू में करने के लिए उठाए गए कदमों के तहत मई महीने से अब तक रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है. कोरोना काल में जो रेपो दर 4 फीसदी पर थी, वह अब बढ़कर 5.40 फीसदी हो गई है. अगर इसमें 0.50 फीसदी की और वृद्धि की जाती है, तो फिर दर बढ़कर 5.90 फीसदी पर पहुंच जाएगी. यहां बता दें आरबीआई ने रेपो रेट में जहां मई में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, तो वहीं जून और अगस्त महीने में इसे प्रतिमाह 0.50 फीसदी बढ़ाया गया था.
आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर महंगाई
बात करें देश में महंगाई की, तो Retail Inflation लगतार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तय लक्ष्य सीमा से ऊपर बनी हुई है. बीते दिनों जारी किए गए खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखें तो अगस्त में यह एक बार फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गई है. इससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई में कमी दर्ज की गई थी और यह 6.71 फीसदी पर आ गई थी. वहीं जून में यह 7.01 फीसदी, मई में 7.04 फीसदी और अप्रैल में 7.79 फीसदी रही थी. सरकार ने महंगाई दर को दो से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी महंगाई इससे ऊपर बनी हुई है.
Repo Rate को इस तरह समझें
रेपो दर (Repo Rate) का सीधा संबंध बैंक से लिए जाने वाले लोन (Loan) और ईएमआई (EMI) से है. दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है.
दूसरे शब्दों में कहें तो रेपो रेट एक तरह का बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर अन्य बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट तय करती है. जब बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है, यानी रेपो रेट बढ़ता है, तो आम आदमी के लिए भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन महंगा हो जाता है और उनकी EMI बढ़ जाती है.