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आरबीआई गवर्नर की अगुवाई वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी. बैठक के नतीजों की घोषणा एक अक्टूबर को की जाएगी. अगस्त में एमपीसी की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति में वृद्धि को रोकने के लिए नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया था.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 29 सितंबर को शुरू होगी और अगले तीन दिनों तक चलेगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत ने पिछले दिनों कहा था कि कि आगे और मौद्रिक कार्रवाई की गुंजाइश है, लेकिन हमें अपने हथियारों का इस्तेमाल समझदारी से करना होगा.
महंगाई पर होगी चर्चा
बता दें, पिछले दिनों महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए. जो 6 फीसदी को पार कर गई है. कोरोना संकट के बीच फरवरी से अब तक रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है. निवेशकों को आरबीआई के नतीजों का इंतजार रहेगा. वहीं, अगले महीने के पहले हफ्ते में ऑटो कंपनियां सितंबर महीने की बिक्री के आंकड़े जारी करेंगी, जिसका असर ऑटो कंपनियों के शेयरों पर देखने को मिलेगा.
वहीं इस बीच भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि रिजर्व बैंक को अपने नरम रुख को जारी रखना चाहिए. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ने की वजह से अभी केंद्रीय बैंक को दरों में कटौती से बचना चाहिए. वृद्धि को समर्थन महत्वपूर्ण है, लेकिन रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति में कुछ कमी आने का इंतजार करना चाहिए.
ब्याज दरें घटेंगी?
गौरतलब है कि सबकी निगाहें ब्याज दरों की कटौती पर है. लेकिन जानकारों की मानें तो खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखेगा. विशेषज्ञों का कहना कि आपूर्ति पक्ष संबंधी मुद्दों की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है, जिसके मद्देनजर केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में बदलाव की संभावना कम है.