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Sovereign Gold Bond Scheme: आते ही मोदी सरकार ने की थी इस योजना की शुरुआत, पैसे लगाने वाले हुए मालामाल!

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सॉवरेन गोल्‍ड स्‍कीम की शुरुआत 2015 में की गई थी, जिसके पहले किस्‍त की मैच्‍योरिटी पूरी हो चुकी है. इसने आठ साल में 12.9 फीसदी सालाना के हिसाब से रिटर्न दिया है.

इस सरकारी स्‍कीम ने निवेशकों को किया मालामाल इस सरकारी स्‍कीम ने निवेशकों को किया मालामाल
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 02 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार पहली बार 2014 में आई थी. इसके एक साल बाद ही आरबीआई द्वारा सोने में निवेश स्‍कीम की शुरुआत की गई थी. यह स्‍कीम सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड (Sovereign Gold Bond) के नाम से शुरू की गई थी, जो बाजार से कम कीमत में सोने में निवेश (Gold Investment) का मौका देती है. इस स्‍कीम के तहत सालाना 2.75%  का रिटर्न फिक्‍स्‍ड है. सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड स्‍कीम (Sovereign Gold Bond Scheme) के तहत मैच्‍योरिटी अवधि 8 साल की है. 30 नवंबर को इसकी पहली किस्‍त मैच्‍योर हो गई थी. इसने आठ साल के दौरान 12.9 फीसदी का ब्‍याज दिया है. 

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निवेशकों की इतनी हुई कमाई 
Sovereign Gold Bond (SGB) की पहली किस्‍त ने 12.9% सालाना रिटर्न दिया है, जिसमें 2.75%  सालाना का निश्चित ब्याज (वर्तमान में 2.5 प्रतिशत तक कम) भुगतान भी शामिल है. 2015 में इस स्‍कीम के तहत 2,684 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर सोने में निवेश का मौका दिया गया था. वहीं मैच्‍योरिटी पर एक ग्राम की कीमत 6,132 रुपये हो गई है. RBI डाटा के मुताबिक, पहली किस्‍त से 245 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था.   

म्‍यूचुअल फंड और Nifty50 से भी ज्‍यादा रिटर्न 
इसी अवधि के दौरान Nifty50  का रिटर्न 12 फीसदी रहा है, जबकि लार्ज कैप म्‍यूचुअल फंड ने एवरेज 13 फीसदी का रिटर्न पेश किया है. ऐसे में अगर आपने सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड स्‍कीम में निवेश किया होता तो आज आपको इन दोनों निवेश योजनाओं से ज्‍यादा रकम मिलती. गोल्डनपी के सीईओ अभिजीत रॉय ने बिजनेस टुडे से कहा कि वास्‍तविक सोने की बजाया अगर गोल्‍ड बॉन्‍ड में पैसा लगाते हैं तो यह आपको एक अच्‍छा रिटर्न के साथ ही कई चुनौतियों से भी बचाता है. साथ ही आपको सोने जितना ही पैसा मिलता है और इसे आप डीमैट अकाउंट के माध्‍यम से भी खरीद सकते हैं. 

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SGB में टैक्‍स बेनिफिट का भी लाभ 
इस स्‍कीम में 2.75%  रिटर्न को छोड़कर टैक्‍स बेनिफिट को भी लाभ मिलता है. वहीं अगर इस स्‍कीम में किसी ने ऑनलाइन निवेश किया है तो उसे प्रति ग्राम पर 50 रुपये की छूट दी जाती है. वहीं इसे आप सेकेंड्री मार्केट पर एसजीबी खरीदते हैं तो आप 100 फीसदी कैपिटल बेनिफिट के लिए पात्र होंगे. इसके तहत पांच साल तक इंतजार करने की आवश्‍यकता नहीं है, आप इसे कभी भी बेच सकते हैं. आप टैक्‍स स्‍लैब के आधार पर तीन साल के भीतर बेचते हैं तो एसटीसीजी लागू होगा. तीन साल के बाद लेकिन आठ साल के अंदर बेचते हैं तो आप 20% लॉन्‍ग कैपिटल बेनिफिट के तहत होंगे. 

SGB के तहत गोल्‍ड प्राइस कैसे होगा तय? 
मैच्‍योर होने से पहले 24 कैरेट सोने की कीमत के बराबर SGB के तहत गोल्‍ड प्राइस तय होता है, लेकिन यह कीमत एक सप्‍ताह पहले के आधार पर होती है. वहीं जब एसजीबी की कोई किस्‍त आती है तो एक सप्‍ताह पहले के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत के आधार पर इस योजना के तहत गोल्‍ड प्राइस तय किया जाता है. 

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