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Reliance से लेकर Mahindra तक सबको करना है अब ये काम, पेश की दावेदारी

सरकार देश को 2030 तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से चलने वाला भारत बनाना चाहती है. ऐसे में बैटरी के लिए आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने 18,100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना मंजूर की है.

सरकार ई-मोबिलिटी पर दे रही है जोर सरकार ई-मोबिलिटी पर दे रही है जोर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST
  • L&T, Hyundai, Ola भी रेस में शामिल
  • इस काम से घटेगा देश का आयात बिल

मुकेश अंबानी की Reliance Industries हो या आनंद महिंद्रा की Mahindra & Mahindra, देश में काम करने वाली कई कंपनियां ऐसी हैं जो भविष्य में अब एक ही काम करना चाहती हैं. इन कंपनियों के ये काम करने से आने वाले समय में शहरों में प्रदूषण की समस्या कम होगी, वहीं देश का आयात बिल भी घटेगा.

निवेश करेंगी बैटरी बनाने में
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि Mukesh Ambani की रिलायंस इंडस्ट्रीज, Anand Mahindra की महिंद्रा एंड महिंद्रा और Hyundai Motors उन कंपनियों में से एक हैं, जिन्होंने सरकार की 18,100 करोड़ रुपये की बैटरी प्रोत्साहन योजना के तहत बोलियां जमा कराई हैं.

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सरकार देश को 2030 इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से चलने वाला भारत बनाना चाहती है. इसके लिए बड़े स्तर पर बैटरी और उसकी सप्लाई चेन की जरूरत है, लेकिन इसके लिए अभी हम मुख्य तौर पर आयात पर निर्भर हैं. सरकार की इस योजना से हम आने वाले समय में बैटरी को लेकर आत्मनिर्भर बन सकेंगे. शुक्रवार को सरकार की इस योजना के तहत बोलियां जमा कराने का आखिरी मौका था.

ये कंपनियां भी हैं दावेदार
इन बड़ी कंपनियों के अलावा सरकार की इस योजना में Ola Electric, Larsen & Toubro और Amara Raja एवं Exide ने भी रुचि दिखाई है. हालांकि इनमें से किसी भी कंपनी की इस बारे में प्रतिक्रिया हासिल नहीं हो सकी है.

कंपनियों को करना होगा ये काम
अगर इन सभी कंपनियों को सरकार की इस योजना का लाभ उठाना है तो हर कंपनी को कम से कम 5 गीगावाट की स्टोरज क्षमता स्थापित करनी होगी. वहीं इसके लिए एक निश्चित सीमा में लोकल कंपोनेंट का उपयोग करना होगा. सरकार ने अगले 5 साल में कुल 50 गीगावाट घंटे की उत्पादन क्षमता खड़ी करने का लक्ष्य रखा है.

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