
अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों के शेयर पतझड़ हो गए हैं. हर रोज टूटते शेयरों के बीच शुक्रवार को अडानी ग्रुप के लिए राहत भरी खबर आई है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने अडानी ग्रुप की आठ कंपनियों के लिए पॉजिटिव रेटिंग जारी की है. साथ ही इस रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर अडानी ग्रुप के क्रेडिट प्रोफाइल पर तत्काल रूप से नहीं पड़ा है.
लेकिन अभी भी निवेशकों की माथे पर चिंता की उभरी लकीरें खत्म नहीं हो रही हैं. क्योंकि शेयरों में कुछ खास सुधार नजर नहीं आ रहा है. हालांकि, इस मुश्किल वक्त में अडानी ग्रुप के लिए खुशखबरी लेकर आई फिच की रिपोर्ट की अहम बातें क्या हैं, जिसे निवेशकों के लिए जानना जरूरी है समझ लीजिए.
रेटिंग एजेंसी फिच की बड़ी बातें
फिच ने अडानी ग्रुप की आठ कंपनियों को स्टेबल रेटिंग दी है.
डाउ जोंस ने दिया झटका
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर स्टॉक हेरफेर-अकाउंटिंग फ्रॉड समेत कई तरह के दावे किए गए हैं. इन तमाम आरोपों को लेकर अमेरिका के डाउ जोंस सस्टेनिबिलिटी इंडेक्स ने अडानी एंटरप्राइजेज को बाहर करने का ऐलान किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 7 फरवरी को इसे डाउ जोंस से हटा दिया जाएगा.
मूडीज की रिपोर्ट से चिंता
दूसरी तरफ मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद वह अडानी ग्रुप के फाइनेंसियल फ्लेक्सिबलटी का मूल्यांकन कर रहा है. मूडीज की इकाई ICRA ने कहा कि वह अडानी समूह पर हाल के घटनाक्रमों के प्रभाव पर नजर बनाए हुए और इसका वैल्यूएशन कर रही है. मूडीज के अनुसार, अडानी ग्रुप के पास 2025 तक कर्ज चुकाने का मौका होगा. इन घटनाओं से अगले 1-2 वर्षों में प्रतिबद्ध कैपेक्स या कर्ज चुकाने के लिए पूंजी जुटाने की समूह की क्षमता कम हो सकती है.