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RBI Fraud Registry: अब ठगी करने वालों की आसानी से होगी पहचान, RBI ने बनाया ये प्लान!

फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के दौरान रिजर्व बैंक को फ्रॉड की 4.18 लाख शिकायतें मिलीं. यह आंकड़ा 2020-21 की तुलना में 9.39 फीसदी ज्यादा था. पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 97.9 फीसदी मामलों को क्लियर किया गया, जबकि 2020-21 में 96.5 फीसदी मामले क्लियर किए गए थे.

फ्रॉड करने वालों की बन रही लिस्ट फ्रॉड करने वालों की बन रही लिस्ट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

बैंकों और आम लोगों के साथ ठगी करने वालों के ऊपर आरबीआई ने सख्त रवैया अपना लिया है. रिजर्व बैंक एक फ्रॉड रजिस्ट्री (RBI Fruad Registry) बनाने की योजना पर गौर कर रहा है. इस रजिस्ट्री में बैंकों और आम लोगों को चूना लगाने वाले ठगों के मोबाइल नंबर (Mobile Number), आईपी एड्रेस (IP Address) जैसी जानकारियां दर्ज होंगी. केंद्रीय बैंक ने सोमवार को पत्रकारों को इसके बारे में जानकारी दी.

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ठगी करने वालों की होगी पहचान

रिजर्व बैंक के एक्सीक्यूटिव डाइरेक्टर (RBI Executive Director) अनिल कुमार शर्मा ने इस बारे में बताया, 'आने वाले समय में हमारे पास फ्रॉड करने वाले सभी लोगों की एक रजिस्ट्री होगी. हम अभी इस आइडिया पर काम कर रहे हैं. हम सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं. हमारा आइडिया है कि आईपी एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर और लोकेशन आदि जैसी जानकारियों की मदद से हम वैसे लोगों की पहचान कर सकें, जो ठगी करने के काम में संलिप्त हैं.'

शर्मा ने साथ ही ये भी बताया कि फ्रॉड रजिस्ट्री बनाने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर रिजर्व बैंक अभी आंतरिक बैठकें कर रहा है. खासकर सुपरविजन और पेमेंट एंड सेटलमेंट डिपार्टमेंट के साथ बैठकें की जा रही हैं, ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके.

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लगातार बढ़े हैं फ्रॉड के मामले

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के दौरान रिजर्व बैंक को फ्रॉड की 4.18 लाख शिकायतें मिलीं. यह आंकड़ा 2020-21 की तुलना में 9.39 फीसदी ज्यादा था. पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 97.9 फीसदी मामलों को क्लियर किया गया, जबकि 2020-21 में 96.5 फीसदी मामले क्लियर किए गए थे. एटीएम व डेबिट कार्ड, मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड से जुड़े मामलों ने कुल मामलों में 39 फीसदी का योगदान दिया. वहीं 28 फीसदी हिस्सेदारी के साथ लोन से जुड़े मामले दूसरे स्थान पर रहे.

अभी समाधान के लिए ऐसी व्यवस्था

मौजूदा नियमों के अनुसार, ग्राहकों को मामले के समाधान के लिए 30 दिनों का समय दिया जाता है. अगर 30 दिनों में समाधान नहीं मिला तब ग्राहक के पास आरबीआई के इंटीग्रेटेड ओम्बड्समैन (Integrated Ombudsman of RBI) में जाने का विकल्प मिलता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकिंग, एनबीएफसी और पेमेंट सिस्टम में सेवाओं में कोताही की समस्या को दूर करने के लिए पिछले साल इंटीग्रेटेड कंज्यूमर ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म (Integrated Consumer Grievance Redressal Mechanism) की शुरुआत की थी.

 

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