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भारतीय बिजनेस सेक्टर में बड़ा नाम रहे दिवंगत केके मोदी की फैमिली (KK Modi Family) में चल रहा पारिवारिक विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. ये पूरा मामला 11,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का है, जिसके लिए मां बीना मोदी और बेटा समीर मोदी आमने-सामने हैं, जबकि इसमें एक और हिस्सेदार IPL के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी देश छोड़कर भाग चुका है.
खास बात ये है कि विवाद ऐसे समय में बढ़ता नजर आ रहा है, जबकि कंपनी की AGM होने वाली है. उससे पहले Samir Modi ने अपनी मां के नेतृत्व को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. आज कंपनी की AGM है और इससे पहले बीना मोदी के गुरुवार देर शाम मामले में बीना मोदी के लिए एक राहत भरी खबर भी आई. आइए जानते हैं इस पारिवारिक विवाद की A To Z स्टोरी...
कभी देश का 7वां सबसे बड़ा कारोबारी घराना
मोदी समूह के फादर कहे जाने वाले गुजरमल मोदी ने ही मोदी ग्रुप (Modi Group) की स्थापना की थी. यही नहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ के पास बसे हुए मोदीनगर शहर को भी उन्होंने ही बसाया था. उनकी 8 संतानों में से एक केके मोदी थे. इस बिजनेस ग्रुप के कारोबार की शुरुआत एक शुगर मिल की स्थापना से हुई थी, इसके बाद ग्रुप ने कई बिजनेस में एंट्री लेते हुए भारतीय कारोबार जगत में अलग मुकाम हासिल किया. गुजरमल मोदी का निधन 22 जनवरी 1976 को हुआ था और उससे पहले ही मोदी ग्रुप 900 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और 1,600 करोड़ रुपये की वार्षिक बिक्री के साथ भारत का 7वां सबसे बड़ा समूह बनाया था.
कैसे शुरू हुआ मोदी फैमिली में विवाद
गुजरमल मोदी के निधन के बाद कारोबार की कमान केके मोदी (KK Modi) के हाथ आई और उनके नेतृत्व में बिजनेस तेजी से आगे बढ़ा. लंदन में स्थापित और भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अपने कारोबार का विस्तार करने वाली कंपनी गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया लिमिटेड (GPI) भी मोदी एंटरप्राइजेज का हिस्सा गई. आज मोदी फैमिली की नेटवर्थ में एक बड़ा हिस्सा इसी गॉडफ्रे फिलिप्स का है, जिसे लेकर पारिवारिक विवाद चरम पर पहुंच गया है. इसकी शुरुआत साल 2019 में केके मोदी के निधन के बाद शुरू हुई थी और परिवार में उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई.
गॉडफ्रे की कमान के लिए बंटा परिवार
जिस कंपनी के लिए परिवार में कलह शुरू हुई, वो दरअसल सिगरेट से लेकर पान मसाला तक का कारोबार करती है. इस कंपनी के फेमस ब्रांड मार्लबोरो सिगरेट और पान विलास हैं और ये देश की दूसरी सबसे बड़ी सिगरेट कंपनी भी है. करीब 11000 करोड़ रुपये की इस पारिवारिक संपत्ति में गॉडफ्रे फिलिप्स (Godfrey Phillips) के लगभग 50% शेयर शामिल हैं, जिनकी कीमत 5,500 करोड़ रुपये से अधिक है. इसी कंपनी की कमान के लिए मां-बेटे आमने-सामने हैं.
बता दें कि बीना मोदी को गॉडफ्रे फिलिप्स की एमडी के रूप में पदोन्नत किया गया था, तो बड़े बेटे ललित मोदी ने विरोध किया था. उन्होंने बिजनेस को बेचने और इससे जुटाई गई रकम को परिवार के भीतर वितरित करने का प्रस्ताव रखा, हालांकि इस कदम का बीना मोदी ने विरोध किया. साल 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगने के बाद Lalit Modi देश छोड़कर भाग गए और फिलहाल लंदन में रह रहे हैं.
समीर मोदी ने लगाए थे मारपीट कराने के आरोप
मोदी फैमिली का संपत्ति विवाद इस साल जून 2024 में तब फिर से चर्चा में आ गया, जब Samir Modi ने अपनी मां बीना मोदी पर गंभीर आरोप लगाए. उस समय आई रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दिल्ली पुलिस में अपने साथ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. समीर मोदी ने शिकायत में कहा था कि मां बीना मोदी ने परिवारिक विवाद में लाभ उठाने के लिए उन पर हमला करवाया. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे ही ऑफिस में मुझ पर हमला होगा. मुझे बोर्ड से हटाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पूरा नहीं होगा.'
AGM से पहले मां पर ऐसे साधा निशाना
आज होने वाली कंपनी बोर्ड की सालाना बैठक से पहले समीर मोदी ने मां पर जमकर निशाना साधा और दावा किया कि बीना मोदी के लीडरशिप में कंपनी का कारोबार खतरे में है. बिजनेस टुडे टीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं अभी भी इस कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हूं. मुझे यहां से हटाने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन ये शेयरधारक तय करेंगे कि मुझे हटाया जाए या नहीं. समीर मोदी ने ये भी कहा कि मेरे योगदान पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जबकि वह (बीना) 80 साल की हैं, 25 की नहीं. मैं 55 साल का हो रहा हूं और मेरे सामने अभी 25 साल हैं. मैंने ज्यादा ट्रेनिंग ली है और पिता के साथ मिलकर कारोबार को आगे बढ़ाया है.
बीना मोदी को कहां से मिली बड़ी राहत?
जैसा कि गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया में चल रही उत्तराधिकार की जंग 6 सितंबर को शेयरधारकों की वार्षिक आम बैठक में अपने चरम पर पहुंच गई है. इस महत्वपूर्ण बैठक से ऐन पहले गुरुवार की शाम ग्रुप की मुखिया और सीएमडी Bina Modi को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली. अदालत ने उन्हें AGM में केके मोदी परिवार ट्रस्ट की ओर से वोट देने की अनुमति दे दी है. जबकि समीर और रुचिर मोदी की ओर से बीना मोदी को वार्षिक आम बैठक में मतदान करने से रोकने की याचिका भी खारिज कर दी है. ट्रस्ट की कंपनी में करीब 47.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि पार्टनर फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल के पास 25 प्रतिशत से थोड़ी अधिक हिस्सेदारी है. हालांकि, MD की नियुक्ति का अधिकार पूरी तरह से मोदी प्रमोटर ब्लॉक के पास है.