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रेट कट और बैंकिंग सेक्टर का संकट... क्या चुनौतियां हैं नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के सामने?

RBI गवर्नर के पद पर संजय मल्होत्रा की नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है, जबकि दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) में गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय दायरे के बाहर निकल गई है. इसके अलावा भी उनके सामने कई चुनौतियां होंगी.

आरबीआई के नए गवर्नर बनने जा रहे संजय मल्होत्रा के सामने होंगी कई चुनौतियां आरबीआई के नए गवर्नर बनने जा रहे संजय मल्होत्रा के सामने होंगी कई चुनौतियां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST

आज शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर का पद छोड़ने वाले हैं और अब ये जिम्मेदारी 11 दिसंबर यानी कल से 1990 बैच के आईएएस अधिकारी संजय मल्होत्रा संभालेंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट (Budget) टीम का अहम हिस्सा रहे नए RBI Governor के सामने पद संभालते ही तमाम बड़ी चुनौतियां होंगी. इनमें रेपो आर्थिक ग्रोथ में आई सुस्ती, महंगाई को कंट्रोल करने से लेकर रेट कट पर फैसला और बैंकिंग सेक्टर का संकट तक शामिल हैं.   

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1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं नए गवर्नर
सबसे पहले बात कर लेते हैं कि आखिर RBI के नए गवर्नर 56 वर्षीय संजय मल्होत्रा हैं कौन? तो बता दें कि 26वें आरबीआई गवर्नर बनने जा रहे Sanjay Malhotra राजस्थान कैडर के 1990 बैच के IAS अधिकारी हैं और अब तक ये राजस्व सचिव का पद संभाल रहे थे. मोदी सरकार की बजट प्रक्रिया में टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने की जिम्मेदारी संजय मल्होत्रा के ही कंधे पर रही थी. 

संजय मल्होत्रा नवंबर 2020 में आरईसी लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी बने थे. इससे पहले वो ऊर्जा मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे. साल 2022 में डिपाटर्मेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) के हेड रहे संजय मल्होत्रा को केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक (RBI) के डायरेक्टर के रूप में नामांकित किया था. बता दें कि रिजर्व बैंक का कामकाज सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स देखते हैं, और ऐसे में संजय मल्होत्रा के पास इस काम का लंबा अनुभव है, इसलिए RBI के गवर्नर की रेस में वो सबसे आगे रहे.

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IIT कानपुर के छात्र रहे हैं संजय मल्होत्रा
संजय मल्होत्रा ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से ली है, जबकि प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की. बीते 30 वर्षों से मल्होत्रा पावर, फाइनेंस, टैक्सेशन, आईटी और माइंस जैसे विभागों में अपनी सेवा दे चुके हैं. इसके साथ ही बता दें कि उनके पास राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तरों पर वित्त और कराधान का लंबा अनुभव है. अपने वर्तमान कार्यकाल में वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.

गवर्नर बनते ही सामने होंगी ये चुनौतियां 
अब बात कर लेते हैं कि रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभालने के साथ ही संजय मल्होत्रा के आगे की राह कैसी होगी. तो बता दें कि ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं, जबकि इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) की आर्थिक ग्रोथ में सुस्ती दर्ज की गई है, इसके साथ ही महंगाई तय दायरे के ऊपर निकल चुकी है, इस दोहरी चुनौती से निपटना उनके लिए सबसे अहम काम होगा. 

गौरतलब है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई. दूसरी ओर जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) में घटकर सात तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही. ऐसे में इसे सही ट्रैक पर लाना नए आरबीआई गवर्नर के प्रमुख कामों में शामिल होगा. 

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रेट कट और बैंकों में सुधार भी लिस्ट में 
इनके अलावा बीते करीब दो साल से Repo Rate की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पिछले एक महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से लेकर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी तक ब्याज दरों में कटौती की वकालत कर चुके हैं. इस बीच रेट कट को लेकर भी संजय मल्होत्रा को सूझ-बूझ के साथ फैसला लेना होगा. एक और समस्या से निपटना उनके लिए चुनौती से कम न होगा, जो बैंकों में लिक्विडिटी की कमी है. देश का सबसे बड़ा बैंक SBI हो या प्राइवेट सेक्टर का कोई छोटा बैंक देश के सभी बैंक पैसों की कमी से जूझते दिख रहे हैं.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अपने पीक टाइम पर बैंकों के पास जमा रकम 2.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन बीते 28 अगस्त को ये घटकर महज 0.95 लाख करोड़ रुपये रह गई है. एक्सपर्ट्स भी इस पर चिंता जाहिर करते हुए कह चुके हैं कि बैंकों पर डिपॉजिट बढ़ाने का दबाव अभी कुछ और वक्त तक जारी रह सकता है. अन्य जरूरी कामों की बात करें, तो नए आरबीआई गवर्नर को बैंकिंग सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर डिजिटल करेंसी के विस्तार तक से जुड़े अहम फैसले लेने होंगे. 

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