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Poverty Data: आई गई रिपोर्ट... यूपी-बिहार में तेजी से घट रही है गरीबी, इस मामले में गांव वाले निकले आगे!

SBI ने आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि लोक कल्याण से जुड़ी सरकारी योजनाओं ने लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार किया है. SBI ने ग्राहक खर्च सर्वे (Consumer Expenditure Survey) के आधार पर ये दावा किया है.

Poverty rate Fall Bihar and Uttar Pradesh Poverty rate Fall Bihar and Uttar Pradesh
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 29 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट में भारत में गरीबी घटने के साथ ही ग्रामीण-शहरी इलाकों में आय के अंतर में भी कमी आने का दावा किया गया है. SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते 5 साल के दौरान भारत में असमानता में कमी आई है. 

रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट आई है, वहीं कोविड महामारी के बाद शहरी गरीबी में 170 बेसिस प्वाइंट्स की कमी दर्ज की गई है. SBI ने इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि लोक कल्याण से जुड़ी सरकारी योजनाओं ने लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार किया है. 

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SBI ने ग्राहक खर्च सर्वे (Consumer Expenditure Survey) के आधार पर ये दावा किया है. आंकड़ों के मुताबिक 
ग्रामीण गरीबी 2011-12 के 25.7 फीसदी के मुकाबले घटकर अब 7.2 परसेंट रह गई है. वहीं शहरी गरीबी 2011-12 के 13.7 फीसदी के मुकाबले घटकर 4.6 परसेंट रह गई है. इसके आधार पर दावा किया गया है कि भारत में अब गरीबी दर घटकर साढ़े 4 से 5 परसेंट की रेंज में रह गई है. 

'BIMARU' से बाहर निकले UP-बिहार!
SBI की रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अब पेय पदार्थ, मनोरंजन, कंज्यमूर ड्यूरेबल्स पर जमकर खर्च कर रहे हैं. गरीबी की दर में कमी होने की बड़ी वजह उन राज्यों का बेहतरीन प्रदर्शन है जो इस मामले में सबसे फिसड्डी थे. रिपोर्ट के मुतबिक उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने गरीबी कम करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है. 

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इन राज्यों में ग्रामीण गरीबी सबसे ज्यादा थी जो अब तेजी से घट रही है. इन आंकड़ों में सुधार के मायने हैं कि रिटेल महंगाई दर की कैलकुलेशन में अब MPCE की हिस्सदेारी में बदलाव होगा. इससे नई गणना में 2023-24 में विकास दर साढ़े 7 फीसदी तक पहुंच सकती है. 

शहरी लोगों से ज्यादा हुईं ग्रामीणों की महत्वकांक्षाएं!
इस रिपोर्ट में जो दिलचस्प बात निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की महत्वकांक्षाएं तेजी से बढ़ रही हैं. इससे ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति खर्च के बीच का अंतर अब 71.2  फीसदी रह गया है जो 2009-10 में 88.2 परसेंट के स्तर पर था. ग्रामीण MPCE का करीब 30 परसेंट सरकार डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, किसानों की आय में बढ़ोतरी और ग्रामीण रोजगार में सुधार के लिए करती है.

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