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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने प्रेग्नेंट महिला कैंडिडेट्स की भर्ती को लेकर नियमों में हाल में किए गए बदलाव के अमल पर रोक लगा दी है. बैंक ने इससे पहले भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव करते हुए तीन माह से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को 'टेम्पररी अनफिट' बताया था. बैंक ने कहा था कि प्रेग्नेंट महिलाओं को डिलिवरी के चार महीने के भीतर बैंक ज्वाइन करने की अनुमति दी जा सकती है. बैंक को इस फैसले के लिए काफी अधिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. लेबर यूनियन और दिल्ली महिला आयोग ने भी बैंक के इस फैसले की आलोचना की थी.
एसबीआई ने जारी किया स्टेटमेंट
SBI ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘SBI ने बैंक में नियुक्ति से संबंधित फिटनेस के विभिन्न स्टैंडर्ड की हाल में समीक्षा की. इसमें प्रेग्नेंट महिला कैंडिडेट्स से जुड़े नियम भी शामिल थे. रिवाइज्ड गाइडलाइंस का मकसद हेल्थ के विभिन्न पैरामीटर्स पर एक तरह की Clarity देना था, जहां दिशा-निर्देश या तो स्पष्ट नहीं थे या बहुत पुराने थे.’
बैंक ने कहा है कि नियमों में किए गए हालिया बदलाव को मीडिया के कुछ हलकों में महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया गया. SBI ने बयान में आगे कहा है, ‘...लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए SBI ने प्रेग्नेंट महिलाओं की भर्ती को लेकर नियमों में किए गए बदलाव पर अमल पर रोक लगा दी है और इस संबंध में पहले का इंस्ट्रक्शन ही लागू रहेगा.’
बैंक में 25% महिलाएं
SBI का कहना है कि वह अपनी महिला कर्मचारियों की देखभाल और उनके सशक्तिकरण के लिए हमेशा से प्रोएक्टिव रहता है. बैंक के कुल कर्मचारियों में महिला कर्मियों की संख्या अब 25 फीसदी हो गई है.
बैंक ने कहा है कि कोविड-19 के समय में सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रेग्नेंट महिला कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी गई थी और उन्हें ऑफिस जाने से छूट मिली हुई थी.