
येस बैंक एक बार फिर मुश्किल में आया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उस पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. बैंक पर आरोप है कि उसने अपने ग्राहकों को गुमराह कर जोखिम वाले एडिशनल टियर 1 (AT-1) बॉन्ड बेचे हैं.
यह बॉन्ड दिसंबर 2016 से फरवरी 2019 के बीच ग्राहकों को बेचे गए थे. इसके अलावा नियामक ने उस समय येस बैंक की निजी संपदा प्रबंधन टीम के प्रमुख रहे विवेक कंवर पर भी एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. आशीष नासा और जसजीत सिंह बंगा पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस उल्लंघन के समय ये बैंक की निजी संपदा प्रबंधन टीम का हिस्सा थे.
क्या कहा सेबी ने
सेबी के आदेश में कहा गया है कि इन लोगों को यह जर्माना 45 दिन में अदा करना होगा. सेबी ने कहा कि AT-1 बॉन्ड ग्राहकों को पर्याप्त सुरक्षा उपाय और उनके हितों की पर्याप्त रक्षा का उपाय किए बिना बेचे गए. ग्राहकों को गुमराह करने के लिए जोखिम की बात छिपाई गई और तथ्यों को गलत बताया गया. इसकी वजह से बहुत से ग्राहक एफडी की जगह इन बॉन्ड में पैसा लगाने लगे.
क्या है मामला
सेबी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के अनुसार करीब 1,346 निवेशकों ने येस बैंक के AT-1 बॉन्ड में 679 करोड़ रुपये लगाए और इनमें से 1,311 येस बैंक के पुराने ग्राहक थे. यही नहीं 277 ग्राहकों ने अपनी एफडी को समय से पहले बंद कर करीब 80 करोड़ रुपये AT-1 बॉन्ड में लगा दिये.
ऐसा करके बैंक ने फर्जीवाड़ा निषेध और अनुचित व्यापार दस्तूर रेगुलेशन के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इस मामले में येस बैंक के तत्कालनी प्रबंध निदेशक राणा कपूर को भी आरोपी बनाया गया है. कपूर फिलहाल नवी मुंबई की जेल में हैं, इसलिए उन्हें कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है.
सैट में चुनौती देगा बैंक
इस बीच, येस बैंक ने कल देर शाम शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा कि वह इस फैसले को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में चुनौती देगा. गौरतलब है कि येस बैंक पिछले कई साल से मुश्किल में चल रहा है. बैंक के बोर्ड निदेशक मंडल का साल 2020 में पुनर्गठन किया गया और बैंक में नई पूंजी डाली गई. बैंक ने दिसंबर, 2013, दिसंबर, 2016 और अक्टूबर, 2017 में डिबेंचर की प्रकृति के बॉन्ड जारी किए थे.
बैंक का कहना है कि नकदी संकट से जूझ रहे बैंक की पुनरूत्थान योजना के हिस्से के तौर पर 2016 और 2017 में जारी किये गये एटी-1 बॉन्ड को उनके मूल्य के अनुरूप समायोजित कर लिया गया.
लेकिन सेबी का कहना है कि येस बैंक और इसके कुछ अधिकारियों ने ‘भोलेभाले’ ग्राहकों में एटी-1 (एडिशनल टियर-1) बॉन्ड को डंप करने के लिए ‘गोलमोल भटकाने’ वाली योजना बनाई. सेबी ने कहा कि एटी-1 बॉन्ड की बिक्री के दौरान व्यक्तिगत निवेशकों को इनकी खरीद से जुड़े जोखिमों के बारे में सूचित नहीं किया गया.
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)