
अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में जारी उतार चढ़ाव के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) इस सप्ताह वित्त मंत्रालय को अडानी समूह के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) की जांच पर अपडेट देगा. सेबी बोर्ड कथित तौर पर जांच के बारे में अपडेट देने के लिए 15 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेगा.
बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. हालांकि, पिछले सप्ताह अडानी ग्रुप के कुछ शेयरों में हल्की तेजी देखने को मिली, लेकिन अभी कई कंपनियों के शेयरों लगातार लोअर सर्किट लग रहा है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारी नुकसान
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अडानी समूह के शेयरों में हालिया गिरावट के दौरान नियामक द्वारा उठाए गए सर्विलांस पर सेबी बोर्ड वित्त मंत्री को जानकारी देगा. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप को मार्केट वैल्यूएशन में 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
कंपनी के गिरते शेयरों की वजह से ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ रुपये के फुल सब्सक्राइब FPO को वापस ले लिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी वित्त मंत्रालय को ऑफशोर फंड फ्लो के जांच पर भी अपडेट देगा.
इन चीजों की भी हो रही जांच
सेबी अडानी समूह के शेयर बाजार रूट की पूरी तरह से जांच कर रहा है. यह अडानी समूह के बिजनेस पैटर्न, रद्द एफपीओ में अनियमितताओं और समूह के ऑफशोर फंड की जांच कर रहा है. सेबी ने हाल ही में यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम उठाए थे, ताकी अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव नियंत्रित रहे.
हिंडनबर्ग को अडानी ग्रुप का जवाब
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर फर्जी लेन-देन, शेयरों में हेरा-फेरी समेत कर्ज को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. इसमें 88 सवालों के जरिए कई दावे भी किए गए हैं. अपने 413 पन्नों के जवाब अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. अडानी समूह ने 88 में से 68 सवालों के फर्जी बताया है. अडानी समूह की ओर से कहा गया कि 88 सवालों में से 68 प्रश्न फर्जी और भ्रामक हैं. कंपनी की तरफ से कहा गया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘गलत जानकारी और झूठे आरोपों’ के आधार पर बनी है.