
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में यह दावा किया है कि कोरोना की दूसरी लहर का असर वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) तक ही सीमित रह सकता है. RBI ने कहा कि इसके बाद जुलाई में थोड़ी समस्या आ सकती है.
रिजर्व बैंक द्वारा गुरुवार यानी 27 मई को जारी एनुअल रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के फार्मा इंडस्ट्री के आकार और गुणवत्ता को देखते हुए निश्चित रूप से इस बात की उम्मीद है कि भारत अपनी ताकत पर टिका रह सकता है और भविष्य की किसी भी लहर का मुकाबला कर सकता है.
गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी गहरा असर पड़ा था और भारत तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंच गया था. लगातार दो तिमाहियों तक भारत की जीडीपी नेगेटिव रही थी. भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी मुश्किल से इससे उबरी ही थी कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई.
क्या कहा रिपोर्ट में
RBI कहा कि उसके स्ट्रेस टेस्ट यह पता चला है कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और वे तनाव के मौजूदा माहौल का मुकाबला कर सकते हैं. हालांकि रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि अभी जो समय है उसमें किसी अगली लहर की आशंका से निपटने की तैयारी के लिए महामारी और लॉजिस्टिक के लिए कठोर नियम-कायदे तय करने, वैक्सीन का उत्पादन तेज करने, मेडिकल सप्लाई बढ़ाने, हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करने आदि के लिए मौके सीमित हैं.
रिजर्व बैंक ने इन सबकी वजह से ये चेतावनी दी है कि लोगों की जान जाने, रोजगार और उत्पादन को नुकसान के मामले में काफी विपरीत और लंबे समय तक असर रह सकता है.
बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी
रिजर्व बैंक ने कहा कि उसके स्ट्रेस टेस्ट यह पता चला है कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और वे तनाव के मौजूदा माहौल का मुकाबला कर सकते हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि आगे भी वह बैंकों के एसेट क्वालिटी पर गहरी नजर रखेगा.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने से बैंकों को नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन वे अपने बहीखातों पर दबाव को मैनेज करने में बेहतर पोजिशन में हैं.