
कोरोना से देश में आए आर्थिक संकट से पार पाने के लिए क्या RBI नोट छापेगी? हाल ही में कोटक बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने इसे लेकर बयान दिया था. अब आरबीआई के गवनर्र शक्तिकांत दास ने इस बारे में अपनी राय रखी है.
क्या बोले आरबीआई गवर्नर
RBI ने शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की. इस दौरान एक प्रेस वार्ता में इस संदर्भ में पूछे गए सवाल पर गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘ नोट छापने को लेकर केन्द्रीय बैंक का अपना असेसमेंट और मॉडल है. RBI कई कॉम्प्लेक्स फैक्टर को देखते हुए इस पर निर्णय करता है जो देश में वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति के स्तर और रुपये की विनिमय दरों को ध्यान में रख कर किया जाता है.
आर्थिक संकट से उबरने के लिए रुपये छापने को लेकर दास ने कहा ‘मौजूदा स्थिति में अगर बात की जाए तो ये एक कोल-कल्पित (हाइपोथेटिकल) सवाल है’
उदय कोटक ने की थी वकालत
प्राइवेट सेक्टर के कोटक बैंक प्रमुख और उद्योग मंडल CII के निवर्तमान अध्यक्ष उदय कोटक ने हाल ही में कहा था, ‘ अब समय आ गया है जब हम सरकार की बैलेंस शीट को विस्तार दें (अर्थात सरकार अपने बजट से आगे जाकर खर्च करे). RBI को इसका समर्थन करना चाहिए और अधिक नोट छापने पर ध्यान देना चाहिए.’
नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी इसके पक्ष में
उदय कोटक जैसी ही बात नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भी कही. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को अधिक नोट छापना चाहिए और समाज के गरीब तबके तक सीधे नकदी पहुंचानी चाहिए.
चिदंबरम बोले अधिक कर्ज ले सरकार
देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी आर्थिक संकट से उबरने के लिए सरकार को अधिक कर्ज जुटाने या अधिक नोट छापने का मशविरा दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को राजकोषीय घाटे की चिंता किए बगैर इस समय अधिक से अधिक खर्च करने पर ध्यान देना चाहिए.
कोरोना की दूसरी लहर के बाद बढ़ी घाटे के बजट की मांग
देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अचानक से घाटे के बजट की मांग बढ़ी है. इसकी वजह दूसरी लहर का आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर असर डालना है. लगातार दो साल से जारी कोविड के चलते दुनियाभर में आय असमानता बढ़ी है.
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है. साथ ही कहा है कि वह बाजार में नकदी बढ़ाने की अपनी कोशिशें जारी रखेगी. इसी के साथ उसने 2021-22 के लिए अपने वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 10.5% से घटाकर 9.5% कर दिया है.
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