
किसी एक को होने वाला नुकसान, कई मामलों में कुछ अन्य लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो जाता है. यह बात देशों के मामले में भी सटीक साबित होती है. जैसे उदाहरण के लिए पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka) का मामला देख लीजिए. श्रीलंका अभी आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) का सामना कर रहा है और अब यह राजनीतिक व सामाजिक संकट भी बनता जा रहा है. इससे श्रीलंका के लोग चीनी, चावल, दूध से लेकर डीजल-पेट्रोल और गैस जैसी जरूरी चीजों की कमी से जूझ रहे हैं. दूसरी ओर श्रीलंका का यह संकट भारत के लिए कुछ मोर्चों पर फायदेमंद साबित हो रहा है. खासकर तमिलनाडु (Tamilnadu) के तिरुपुर स्थित टेक्सटाइल हब (Tirupur Textile Hub) और दक्षिण भारत (South India) व असम (Assam) के चाय बागानों को श्रीलंका संकट से जबरदस्त फायदा हो रहा है.
श्रीलंका के ट्रेड में कपड़ों और चाय का योगदान
श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पड़ोसी देश के ग्लोबल ट्रेड में कपड़ों और चाय के निर्यात का सबसे अहम योगदान है. पर्यटन के बाद श्रीलंका की जीडीपी (Sri Lanka GDP) को सबसे ज्यादा योगदान कपड़ों व चाय के निर्यात से ही मिलता है. अभी जबकि श्रीलंका अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है, पर्यटन के साथ ही उसका एक्सपोर्ट भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इसका फायदा भारत को मिल रहा है. पहले जिन कपड़ों और चाय का निर्यात श्रीलंका से हो रहा था, वह अब भारत की ओर डायवर्ट हो गया है.
तिरुपुर टेक्सटाइल हब को मिल रहा फायदा
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट राजा एम. षणमुगम (Raja M Shanmugam) के हवाले से ईटी की एक रिपोर्ट में बताया गया, 'श्रीलंका में जारी संकट ने वहां के विनिर्माण सेक्टर खासकर कपड़ा व परिधान क्षेत्र को बर्बाद कर दिया है. श्रीलंका की एपैरल इंडस्ट्री इतनी बढ़िया थी कि उसे बटन का आयात करना पड़ता था. श्रीलंका में जारी संकट के चलते कई ग्लोबल ब्रांड अपने ऑर्डर को श्रीलंका के बजाय तिरुपुर टेक्सटाइल हब को डायवर्ट करने लगे हैं.'
जारा, मैंगो जैसे ब्रांड भारत को कर रहे ऑर्डर
उन्होंने कहा कि जारा (Zara), मैंगो (Mango) और एचएंडएम (H&M) जैसे बड़े ग्लोबल ब्रांड अन्य एशियाई देशों से ऑर्डर करते हैं. बांग्लादेश, कम्बोडिया, वियतनाम, श्रीलंका और भारत इन ग्लोबल ब्रांडों के फेवरिट डेस्टिनेशन हैं. अभी बांग्लादेश, कम्बोडिया और वियतनाम के पास भारी मात्रा में ऑर्डर हैं. श्रीलंका संकट में फंसा हुआ है. ऐसे में इन ब्रांडों के पास भारत एकमात्र ऑप्शन रह जाता है. हालांकि कॉटन और धागों की अधिक कीमतें भरतीय टेक्सटाइल ट्रेड के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात है.'
श्रीलंका टी इंडस्ट्री के सामने अभी ये संकट
श्रीलंका आम दिनों में सालाना 5.42 बिलियन डॉलर के कपड़ों का निर्यात करता है. अब जबकि यह एक्सपोर्ट भारत डायवर्ट हो रहा है, भारतीय चाय इंडस्ट्री (Indian Tea Industry) को भी श्रीलंका संकट से फायदा हो रहा है. जिन बाजारों को श्रीलंका चाय का एक्सपोर्ट करता आया है, वे अब भारतीय बाजार से इन्क्वायरी कर रहे हैं. साउथ इंडिया टी एक्स्पोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन दीपक शाह पिछले कुछ दिनों से कोलम्बो गए हुए हैं. वह बताते हैं, 'श्रीलंका के लगभग सारे टी प्रोसेसिंग यूनिट अभी हर रोज करीब 12-13 घंटे के पावर कट से जूझ रहे हैं. उनके पास अपना जेनरेटर चलाने के लिए तेल भी नहीं है. इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है और ब्लैक टी की पत्तियों की क्वालिटी खराब हो रही है.'
भारत से चाय खरीदना चाह रहे ये देश
श्रीलंका ऑर्थोडॉक्स टी का प्रोडक्शन करता है और इसका एक्सपोर्ट इराक, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, लीबिया, रूस व तुर्की जैसे देशों को किया जाता है. भारत भी ऑर्थोडॉक्स टी का प्रोडक्शन करता है, जो मुख्यत: ईरान और रूस के बाजार में जाता है. अब ऐसी चाय की पत्तियां पसंद करने वाले अन्य देश भी भारत से खरीदने की बातचीत कर रहे हैं. शाह ने कहा कि श्रीलंका की उन कंपनियों को भी अभी दिक्कतें हो रही हैं, जो पैकेट टी बेचते हैं. जारी संकट के चलते इन्हें पैकेजिंग मटीरियल्स नहीं मिल पा रहे हैं. भारत को इससे सीधा फायदा हो रहा है.