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नोएडा में फंसे फ्लैट्स मालिकों की बल्ले-बल्ले, आधी कीमत पर मिलने वाले फ्लैट्स के दाम हो जाएंगे दोगुने!

रजिस्ट्री की मंजूरी मिलते ही किसी भी प्रोजेक्ट में फ्लैट्स के दाम बढ़ने लगते हैं. उदाहरण के तौर पर आम्रपाली सिलिकॉन सिटी प्रोजेक्ट में रजिस्ट्री शुरू होने की मंजूरी मिलते ही घरों के दाम दाम मार्केट रेट के बराबर हो गए हैं.

अटके फ्लैट को लेकर सरकार का प्लान (Photo: File) अटके फ्लैट को लेकर सरकार का प्लान (Photo: File)
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:56 AM IST

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में डेवलपर्स को 4 साल का जीरो पीरियड देने का यूपी सरकार जल्द ही ऐलान कर सकती है. इस छूट का मतलब हुआ कि डेवलपर्स से इस दौरान किसी भी तरह का ब्याज या पेनाल्टी नहीं ली जाएगी. इस योजना के अमल में आने के बाद अथॉरिटी की मंजूरी से को-डेवलपर लाकर अधूरा प्रोजेक्ट पूरा कराया जा सकेगा.

अभी तक की तय की गई योजना के मुताबिक इसके लिए डेवलपर्स को स्कीम मंजूर होने के 60 दिनों में 25 फीसदी रकम का भुगतान करना होगा. बाकी बची 75 परसेंट रकम को अगले 3 साल में चुकाने की अनुमति मिल सकती है. जीरो पीरियड कोविड के दौरान काम रुकने और NGT के ओखला बर्ड सेंचुरी के 10 किमी की परिधि में बने प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर लगी रोक के मद्देनजर दिया गया है. ये बैन 2013 में लगाया गया था.

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रजिस्ट्री वाले फ्लैट पर ग्राहकों का फोकस

नोएडा में अटके प्रोजेक्ट्स को संजीवनी प्रदान करने के मकसद से लाई जा रही ये योजना अमिताभ कांत की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई है. हालांकि इसमें रजिस्ट्री को बकाया से डीलिंक करने पर सहमति नहीं बन पाई है जो प्रोजेक्ट में नए बायर्स का इंटरेस्ट बढ़ाने के लिए बेहद जरुरी है. इस असहमति की वजह है कि एक बार रजिस्ट्री हो जाने के बाद फ्लैट पर पूरी तरह से घर खरीदार का अधिकार हो जाएगा जो डेवलपर्स से बकाया वसूली के रास्ते का ब्रेकर बन सकता है. लेकिन इसे डीलिंक किए बिना प्रोजेक्ट के बाकी बचे फ्लैट्स और को-डेवलपर को लाकर नया डेवलपमेंट कराना भी मुश्किल हो जाएगा. असल में बायर्स केवल उसी प्रोजेक्ट में घर खरीदना पसंद करते हैं जहां पर रजिस्ट्री हो रही है. इसका उदाहरण आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स हैं जहां पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रजिस्ट्री हो रही है लेकिन बिल्डर का बकाया अथॉरिटी को अभी तक नहीं चुकाया गया है क्योंकि बिल्डर जेल में बंद है. 

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रजिस्ट्री होते ही भागते हैं फ्लैट्स के दाम 
रजिस्ट्री की मंजूरी मिलते ही किसी भी प्रोजेक्ट में फ्लैट्स के दाम बढ़ने लगते हैं. उदाहरण के तौर पर आम्रपाली सिलिकॉन सिटी प्रोजेक्ट में रजिस्ट्री शुरू होने की मंजूरी मिलते ही घरों के दाम दाम मार्केट रेट के बराबर हो गए हैं. हालांकि इस प्रोजेक्ट पर नोएडा अथॉरिटी की सबसे ज्यादा रकम बकाया है. ये प्रोजेक्ट नोएडा के सेक्टर 76 में है और इस इलाके को 7x के तौर पर जाना जाता है. इसके पहले यहां पर इसी प्रोजेक्ट में मार्केट रेट से आधी कीमत में फ्लैट्स मिल रहे थे. अब दाम बढ़ने से घर खरीदारों को भी सुकुन मिला है और उनकी मेहनत की कमाई बरसों के संघर्ष के बाद महंगाई दर को मात देने में कामयाब हो गई है. ऐसे में अगर को-डेवलपर तभी आएगा जब उस प्रोजेक्ट में रजिस्ट्री को मंजूरी मिल जाएगी. ऐसे में अगर रजिस्ट्री को डेवलपर के बकाए से डीलिंक करके घर खरीदारों को उनका लीगल मालिकाना हक मिलता है तो फिर अटका प्रोजेक्ट आसानी से को-डेवलपर के लिए मुनाफे का सौदा बन जाएगा जिसपर वो काम शुरु करने से नहीं हिचकेगा. 

लग्जरी घरों की डिमांड बढ़ने का मिलेगा फायदा
नोएडा में कोविड-19 के बाद आए बूम से फ्लैट्स की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है. मिसाल के तौर पर जहां 2020-21 में फ्लैट्स की कीमत 7x सेक्टर्स में औसतन 4500-5000 रुपए थी वहां अब ये 7 हज़ार के आसपास पहुंच गई है जो 20-25% का उछाल है. इसी तरह सेक्टर 107 में दाम 6 हज़ार से बढ़कर 10 और 11 हज़ार तक पहुंच गए हैं जबकि यहां पर लग्जरी हाउसिंग के दाम 15 से 18 हज़ार रुपए हैं. सेक्टर 45 में जहां 8-9 हजार के दाम हैं वहीं यहां पर अब एक गुरुग्राम का डेवलपर 18 हज़ार रुपए की कीमत में लग्जरी फ्लैट्स लॉन्च कर रहा है. ऐसे में इन इलाकों में फंसे फ्लैट्स के दाम फिलहाल लोन ना मिलने की वजह से मार्केट रेट के आधे हैं. जब ये प्रोजेक्ट नई पॉलिसी से क्लीयर हो जाएंगे और इन पर लोन मिलेगा, रजिस्ट्री होगी तो यहां पर इनके दाम मार्केट रेट के करीब पहुंच सकते हैं. वहीं बाकी बचे एरिया पर को-डेवलपर लाकर बिल्डर सुपरलग्जरी फ्लैट्स की प्लानिंग कर सकता है जो उसको मौजूदा रेट के मुकाबले 3 गुना दाम दिला सकती है जिससे उसका बकाया खत्म हो जाने का भरपूर अनुमान है. 

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कैसे नोएडा में बढ़ेगी रियल एस्टेट की रफ्तार? 
नोएडा में विकास की गति हाल के दिनों में निवेश बढ़ने की वजह से तेज हुई है लेकिन यहां पर फंसे हजारो फ्लैट्स इसकी छवि में बड़ा दाग हैं. जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद ये शहर इंटरनेशनल मैप पर आ जाएगा जिससे यहां पर दुनियाभर की कंपनियों का फोकस बढ़ेगा लेकिन फंसे फ्लैट्स का समाधान हुए बिना ये फायदा उठाने में सरकार चूक सकती है. अगर ये फंसे फ्लैट्स का रास्ता निकल आया तो फिर नोएडा की इमेज कई गुना बढ़ जाएगा जिससे बड़े बड़े निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और नोएडा वर्ल्ड क्लास सिटी बनने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लेगा.
 

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