
एक ओर जहां लंबी गिरावट देखने के बाद आखिरकार भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में हरियाली देखने को मिल रही है, तो वहीं दूसरी ओर एक देश के शेयर मार्केट में अचानक कोहराम (Stock Market Crash) सा मच गया है. हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया की, जहां जकार्ता कंपोजिट इंडेक्स अचानक करीब 5 फीसदी टूट गया, जिसके बाद निवेशकों में हड़कंप मच गया. यहां हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आइए जानते हैं इंडोनेशियाई शेयर बाजार में मचे इस भूचाल के पीछे के कारणों के बारे में...
खुलते ही जकार्ता कंपोजिट धड़ाम
सोमवार को मिले-जुले वैश्विक संकेतों के बीच कुछ एशियाई बाजारों में सुस्ती देखने को मिली, लेकिन इस दौरन इंडोनेशिया के बाजार का बुरा हाल नजर आया. पहले से खस्ताहाल Indonesia Economy को लेकर निवेशकों में बढ़े डर का असर बाजार पर दिखा और देश का जकार्ता कम्पोजिट इंडेक्स तेज गिरावट के साथ 4.7% फिसल गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में इस गिरावट के पीछे की वजह राष्ट्रपति प्रबोवो के नेतृत्व में आर्थिक नीतियां को माना जा रहा है.
बीते हफ्ते भी आई थी बड़ी गिरावट
इंडोनेशियाई अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता का माहौल आज का नहीं, बल्कि लंबे समय से निवेशकों को परेशान कर रहा है. इससे पहले बीते सप्ताह के मंगलवार को भी Indonesia Share Market बुरी तरह फिसला था और इसमें एक दशक से अधिक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी. कमजोर इकोनॉमी के साथ ही उपभोक्ता खर्च में लगातार गिरावट ने निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर डाला है.
बीते मंगलवार को जकार्ता कम्पोजिट इंडेक्स 7.1% तक गिर गया था, जो इसमें सितंबर 2011 के बाद इसमें सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट थी. इस गिरावट के चलते शेयर मार्केट में ट्रेडिंग भी बंद करनी पड़ी थी. करीब 30 मिनट तक शेयर मार्केट में कोई कारोबार नहीं हो सका. बता दें कि कोरोना काल के बाद पहली बार ऐसी स्थिति देखने को मिली है. इस गिरावट के लिए डॉलर के मुकाबले इंडोनेशियाई करेंसी के धराशाई होने का भी अहम रोल है.
देश की फाइनेंशियल हेल्थ को लेकर चिंता
साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट पर इससे जुड़ी एक रिपोर्ट में इकोनॉमिस्ट्स ने शेयर कीमतों में भारी गिरावट के लिए कई कारक बताए हैं. इनमें देश की फाइनेंशियल पॉलिसीज और इकोनॉमिक आउटलुक को लेकर चिंताएं जाहिर की गई हैं. ऐसे भी अटकलें लगने की बात की गई है कि वित्त मंत्री मुलयानी प्रबोवो के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकते हैं. परमाटा बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट जोसुआ पारदेदे की मानें तो नीतिगत दृष्टिकोण से इन सब चीजों से निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ रही है. जिसका असर शेयर बाजार पर भी दिख रहा है.