
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही एक के बाद एक ऐसे फैसले हुए हैं, जिसने दुनिया को चोंट पहुंचाई हो. खासकर टैरिफ को लेकर हुए ऐलान ने चीन, कनाडा और अन्य देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. अब एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चीन, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 4 मार्च से लागू किया जाएगा. हालांकि चीन पर पहले से ही 10 फीसदी का टैरिफ लगाया गया है. ट्रंप के नए टैरिफ ऐलान ने दुनिया को डरा दिया है.
खासकर शेयर बाजार में सबसे ज्यादा डर है. ट्रंप के टैरिफ और एलन मस्क के DOGE के ऐलान ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर कौन अब शेयर बाजार को बचाएगा, आखिर कबतक शेयर बाजार में गिरावट रहेगी, क्या दुनिया में मंदी का खतरा बढ़ रहा है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'अमेरिका ग्रेट अगेन' चाहते हैं. जिसके लिए उन्होंने कई ऐलान किए हैं, जिसमें 'गोल्ड कार्ड' वीजा फीस बढ़ाने से लेकर टैरिफ और अन्य घोषणाएं शामिल हैं. वहीं एलन मस्क भी अमेरिका के लोगों का पैसा बचाने के लिए DOGE जैसे संस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. DOGE का काम अमेरिका से बाहर जा रहे पैसे को रोकना है. DOGE की रिपोर्ट पर ही USAID की फंडिंग रोकी गई थी.
क्या बढ़ रहा है मंदी का खतरा?
ग्लोबल स्तर पर शेयर बाजार को डर है कि अगर अमेरिकी टैरिफ और DOGE हावी हो गए, तो अमेरिका में मंदी का जोखिम बढ़ सकता है. इससे ग्लोबल रिस्क भी बढ़ सकता है. अमेरिकी टैरिफ और बड़ी गिरावट को अंजाम दे सकता है या ट्रेड वार पैदा हो सकता है. नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने चेतावनी दी कि अगर नौकरियों में कमी और होती है, तो DOGE भी ट्रंप को राजनीतिक मुश्किलों में डाल सकता है.
दूसरी ओर, परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना (Asset Monetisation Plan) अभी भी शुरुआती स्थिति में है. घरेलू ब्रोकरेज ने कहा कि अगर इन नीतियों को आगे बढ़ाया जाता है, तो इसके अच्छे रिजल्ट आ सकते हैं.
अगर ट्रंप सरकार हाई टैरिफ लागू करता है, तो इससे जवाबी कार्रवाई और संभावित ग्लोबल ट्रेड वार का जोखिम होगा. नुवामा ने कहा कि इससे डॉलर मजबूत हो सकता है और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ सकता है, जो न केवल पहले से ही कमजोर ग्लोबल इकोनॉमी पर दोहरा दबाव डालेगा, बल्कि अमेरिकी कंज्यूमर के सेंटीमेंट को भी कमजोर करेगा.
एलन मस्क के इस कदम से भी बढ़ेगा मंदी का खतरा
नुवामा का मानना है कि अगर एलन मस्क खर्च में कटौती के लिए अपने 2 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने में आधे से भी कम सफल होते हैं, तो मंदी का जोखिम बढ़ सकता है. आखिरकार, सरकारी क्षेत्र ने हाल ही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नुवामा ने कहा कि 2023 और 2024 में, अमेरिकी सरकार ने नई नौकरियों में 25 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है.
ब्रोकरेज का कहना है कि स्पष्ट नहीं है कि कौन सी पॉलिसी हावी होंगी और ट्रंप, एलन मस्क उन पॉलिसी में कितना सफल होंगे. हालांकि मंदी से बचने के लिए बड़ा रोल फेडरल रिजर्व बैंक और उसके खजाने पर निर्भर करेगा. उदाहरण के लिए, अगर DOGE फाइनेंशियल एक्सपेंडेचर में कटौती करता है, तो फेड को वित्तीय दबाव की भरपाई करनी चाहिए. नहीं तो मंदी का जोखिम बढ़ जाएगा, और घाटा वास्तव में बढ़ सकता है.
शेयर बाजार का क्या होगा?
भारतीय शेयर बाजार सिर्फ फरवरी में ही 4 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. वहीं निफ्टी (Nifty) अपने 9 महीने के निचले स्तर पर जा चुका है. शेयर बाजार हर दिन अपना लेवल तोड़ रहा है और आगे आने वाला समय और पेनफुल माना जा रहा है. ऐसे में अभी अनुमान लगाना कि भारतीय शेयर बाजार कहां तक जाएगा? ये कहना उचित नहीं है.
शुक्रवार को निफ्टी 320 अंक टूटकर 22221 पर कारोबार कर रहा था, जबकि सेंसेक्स 1060 अंक गिरकर 73550 पर था. निफ्टी बैंक में 326 अंक की गिरावट आई थी.