
फरवरी भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी दुखदायी रहा है. इस महीने Sensex और Nifty इंडेक्स 4 फीसदी तक टूट चुके हैं. ऐसे में तेजी की उम्मीद कर रहे निवेशकों को निराशा मिली है. Sensex इस महीने के दौरान 2500 अंक से ज्यादा ज्यादा और निफ्टी करीब 1000 अंक गिर चुका है. शेयर एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैल्यूवेशन काफी आकर्षक हो रहा है. उन्होंने कहा कि गिरावट अभी सीमित दिखती है, लेकिन कमजोर ग्लोबल संकेतों के कारण फ्यूचर में अस्थिरता बनी रह सकती है.
एमके ग्लोबल ने कहा कि इस तरह की गिरावट निगेटिव व्यू पैदा करती है, लेकिन इसके पॉजिटिव संकेत भी हैं. NBFC और छोटे कर्जदाताओं के लिए रिस्क वेटेज को कम करने का आरबीआई का कदम एक बड़ा पॉजिटिव संकेत है. साथ ही सुधार ने वैल्यूवेशन को कम किया है और निफ्टी का वैल्यूवेशन आकर्षक तौर पर 22,500 के नीचे दिखाई दे रहा है.
ये हैं बाजार की सबसे बड़ी चिंता
गुरुवार को सेंसेक्स 10 अंक या 0.01 प्रतिशत चढ़कर 74,612 पर कारोबार कर रहा था. निफ्टी 2.5 अंक या 01 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,545 पर रहा. पीएल कैपिटल ने कहा कि बाजार निकट अवधि में अस्थिर रह सकता है, लेकिन 2025 की दिसंबर तिमाही के अंत तक स्थिर हो जाएगा. बाजार की सबसे बड़ी चिंता - उच्च पूंजीगत व्यय, टैक्स कटौती और कंज्यूमर डिमांड में सुधार के कारण FPI इनफ्लो सकारात्मक हो सकता है.
एफपीआई इनफ्लो में बड़ा बदलाव आ सकता है
पीएल कैपिटल ने कहा कि भारत में FII निवेश के लिए बाधा दर (Hurdle Rate) 10.5 प्रतिशत हो गई है. वहीं एफआईआई का आउटफ्लो 4 से 9 महीने के भीतर चरम पर है. पीएल कैपिटल का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 के दौरान भारत का विकास मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि एफपीआई इनफ्लो में पॉजिटिव बदलाव आएगा, क्योंकि बजट में टैक्स कटौती और मानसून के कारण कंज्यूमर डिमांड में बढ़ोतरी के तौर पर दिखाई देने लगा है.
इनक्रेड इक्विटीज ने कहा कि सितंबर 2024 के मध्य के शिखर से निरंतर सुधार ने निफ्टी के वैल्यूवेशन को एक साल के आगे के EPS के 20 गुना के 10 साल के औसत स्तर से नीचे ला दिया.
(नोट- किसी भी शेयर में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)