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सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) ने अपने पति के सप्ताह में 70 घंटे काम वाले बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि वह आज भी 70 से ज्यादा घंटे तक काम करती हैं. वहीं नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) ने कहा कि परिवार के साथ क्वांटिटी टाइम की तुलना में क्वालिटी टाइम स्पेंड करना आवश्यक है.
इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने इंटरव्यू में नारायण और सुधा मूर्ति के रिलेशनशिप (Narayan-Sudha Murthy Relationship) को लेकर पूछा कि उन दोनों के बीच अनकॉमन लव कैसे है, जिसपर सुधा मूर्ति ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि ये कॉरपोरेट के गांधी हैं, लेकिन मैं कस्तूरबा नहीं हूं. उन्होंने कहा कि पहली बार 1974 में जब मिले थे तबसे लेकर वे इंफोसिस के फाउंडर को मूर्ति कहकर ही बुलाती हैं.
मैं भी करती हूं 70 घंटे से ज्यादा काम: सुधा मूर्ति
लेखिका सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) ने अपने पति और इंफोसिस के संस्थापक (Infosys Co-Founder) नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) के हालिया 70 घंटे सप्ताह में काम वाले बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि वह इस उम्र में भी सप्ताह में 70 घंटे तक काम करती हैं. उन्होंने कहा कि आपको अपने काम का आनंद लेना चाहिए, काम के प्रति जुनूनी होना चाहिए और छुट्टियों में भी काम करना चाहिए.
'क्वालिटी टाइम ज्यादा महत्वपूर्ण'
उन्होंने आगे कहा कि कड़ी मेहनत पर नारायण मूर्ति का नजरिया उनके व्यक्तिगत अनुभव से है, क्योंकि वह हमेशा पर्याप्त प्रयास करने के सिद्धांत पर कायम रहे हैं. इस बीच नारायण मूर्ति ने कहा कि कंपनी स्टैबलिस करने के दौरान उन्होंने सप्ताह में 85 से 90 घंटे तक काम किया. इसके बाद भी परिवार के साथ समय बिताया. उन्होंने कहा कि बिताए घंटों की तुलना में क्वालिटी टाइम स्पेंड करना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
'डेढ़-दो घंटे बड़े आरामदायक'
उन्होंने कहा कि मैं सुबह 6 बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और रात करीब 9.15 बजे तक लौट आता था. से ही मैं घर पहुंचता, बच्चे गेट पर होते. सुधा, बच्चे और मेरे ससुर कार में बैठ जाते थे और हम जो भी खाना पसंद करते थे, उसे खाने जाते थे और उस दौरान हम खूब मस्ती करते थे. वह डेढ़-दो घंटे सबसे आरामदायक थे. उन्होंने अपने परिवार में सभी से कहा था कि जब भी उन्हें कोई कठिनाई आएगी तो वह हमेशा उनके लिए समय निकालेंगे.
'युवाओं को करना चाहिए 70 घंटे काम'
गौरतलब है कि इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने देश की जीडीपी को बढ़ाने के लिए युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे तक काम करने की सलाह दी थी. इस बयान ने पूरे देश में एक बहस छेड़ दी. कई अरबपतियों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी. किसी ने मूर्ति के इस बयान का समर्थन किया तो किसी ने स्मार्ट वर्क करने को कहा.