
देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक कंपनी को उसके कई सालों से बंद पड़े प्लांट को फिर खोलने की मंजूरी दे दी. मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि इस समय ऑक्सीजन देश की जरूरत और इसे लेकर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए.
तीन जजों की पीठ ने सुनाया फैसला
देश की सर्वोच्च अदालत ने वेदांता समूह को उसके तूतीकोरन प्लांट को फिर शुरू करने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, एल. नागेश्वर राव और एस. रविंद्र भट ने मामले की सुनवाई के बाद आदेश दिया कि कंपनी इस प्लांट में सिर्फ ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती है और इस आदेश का फायदा उठाकर अपने तांबा संयंत्र को चालू नहीं कर सकती.
‘नहीं होनी चाहिए राजनीति’
शीर्ष अदालत ने कहा कि देश ऑक्सीजन की कमी को लेकर राष्ट्रीय संकट झेल रहा है. ऐसे में वेदांता के ऑक्सीजन उत्पादन को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऑक्सीजन अभी ‘राष्ट्रीय जरूरत’ है.
स्थानीय प्रशासन करे प्लांट की निगरानी
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह तूतीकोरन के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को मिलाकर एक पैनल बनाए जो वेदांता के ऑक्सीजन प्लांट की गतिविधियों पर नजर रखे.
तमिलनाडु सरकार को लगी फटकार
सर्वोच्च अदालत ने 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार से पूछा था ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे हैं तो वेदांता की स्टरलाइट के तूतीकोरन संयंत्र को लेकर वो क्यों नहीं कोई फैसला ले सकी.
रोजाना 1000 टन ऑक्सीजन बनाने की क्षमता
पंकज कुमार ने जानकारी दी कि स्टरलाइट कॉपस के तूतीकोरन प्लांट में ऑक्सीजन बनाने वाले दो संयंत्र हैं. इनकी कुल क्षमता प्रतिदिन 1,000 टन ऑक्सीजन बनाने की है. तमिलनाडु के तूतीकोरन स्थित स्टरलाइट कॉपर के संयंत्र को 2018 में बंद कर दिया गया था. इस संयंत्र के प्रदूषण करने को लेकर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन खड़ा हो गया था. इसके बाद तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे बंद कर दिया था.