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Syria GDP: गृहयुद्ध की भेंट चढ़ी सीरिया की इकोनॉमी... 13 साल में क्या से क्या हो गया? महंगाई ने भी रुलाया

Syria Economy Collapse Amid Civil War: सीरिया में भले ही गृहयुद्ध खत्म हो गया हो और बशर अल-असद की सत्ता खत्म हो गई हो, लेकिन 13 साल चले इस संघर्ष में देश की इकोनॉमी की हालत बद से बदतर हो गई है.

गृहयुद्ध के दौरान 13 साल में सीरिया की जीडीपी में बड़ी गिरावट गृहयुद्ध के दौरान 13 साल में सीरिया की जीडीपी में बड़ी गिरावट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

सीरिया (Syria) में तख्तापलट हो चुका है और 13 साल से जारी सिविल वार (Syria Civil War) के बाद आखिरकार बशर अल-असद को देश छोड़ना पड़ा. भले ही विद्रोहियों को लंबे समय तक चले गृहयुद्ध में सफलता जरूर हाथ लगी हो, लेकिन इससे देश की इकोनॉमी को तगड़ा झटका लगा है. इन 13 सालों में सीरिया की जीडीपी (Syria GDP) बुरी तरह फिसली है और महज 898 करोड़ डॉलर रह गई है. हालात ये हैं कि देश की 90% जनता गरीबी रेखा से नीचे जीने को मजबूर है. आइए जानते हैं युद्ध के बीच कैसे धराशायी होती गई देश की जीडीपी...

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13 साल का संघर्ष खत्म, लेकिन चुनौतियां बड़ीं
सीरिया में विद्रोहियों का 13 साल का संघर्ष रंग लाया और बशर अल-असद की तानाशाह सत्ता का खात्मा हो गया. पिछले करीब पांच दशकों से एक ही परिवार का सत्ता पर दबदबा था. भले ही Bashar al-Assad के 24 साल के शासन और देश में 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का अंत हो गया है. लेकिन अब देश को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, कि आगे क्या होगा. दरअसल, सीरिया में नई कार्यवाहक सरकार का गठन हो गया है और कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-बशीर को बनाया गया है. लेकिन देश में चुनौतियां बहुत हैं. इनमें से सबसे बड़ी देश की इकोनॉमी की खस्ता हालत है, क्योंकि Syria GDP गृहयुद्ध में तहस-नहस हो गई है. 

कैसे घटती चली गई सीरिया की जीडीपी 
सीरिया की खस्ता हालत का अंदाजा देश की जीडीपी के आंकड़े में आई गिरावट को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. दरअसल, जब देश में साल 2011 में Civil War की शुरुआत हुई थी, तो उस समय Syria GDP 6,753.94 करोड़ डॉलर थी. वहीं गृहयुद्ध खत्म होते-होते ये गिरकर महज 898.01 करोड़ डॉलर रह गई है. इन 13 सालों के बीच देश की जीडीपी में 5,855.93 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है. 

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90% जनता गरीबी के नीचे 
सीरिया के बुरे हाल का उदाहरण देश की गरीब जनता भी है. बीते साल 2023 में आई सीरिया में सिविल वार के साइड इफेक्ट्स को लेकर यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट पर नजर डालें, तो संयुक्त राष्ट्र चेतावनी देते हुए कहा था कि सीरिया में 2011 से चल रहे गृहयुद्ध के चलते देश की करीब 90% आबादी को गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिया है और अगर ये जारी रही तो आने वाले महीनों में ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. 

गृहयुद्ध के चलते जीडीपी में लगातार गिरावट के बीच प्रति व्यक्ति आय में तेज गिरावट देखने को मिली. इस वजह से विश्व बैंक (World Bank) ने साल 2018 से सीरिया को निम्न आय वाले देश के रूप में रि-क्लासीफाई किया था. जिस सीरिया में सिबिल वार से पहले GDP Per Capita करीब 2500 डॉलर प्रति वर्ष के आस-पास रहा करती थी, वो साल 2021 में ही घटकर विश्व बैंक के मुताबिक, महज 421.12 डॉलर प्रति वर्ष रह गई.

महंगाई का कोहराम जारी
एक ओर देश में लंबे समय से जारी गृहयुद्ध और दूसरी ओर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले सीरिया के लोगों पर महंगाई की दोहरी मार पड़ी है. वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट्स में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2024 में सीरिया की महंगाई दर (Syria Inflation Rate) 140% थी, जो कि इसे दुनिया में किसी भी देश में दूसरी सबसे ज्यादा महंगाई दर वाला देश बनाता है. इससे ऊपर सबसे अधिक महंगाई दर 272% अर्जेंटीना में रही.  

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