Advertisement

दिवालिया होकर सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी ने बिगाड़ दी चीन की हालत, लपेटे में अमेरिका भी...

चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट सेक्टर ही हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है. ऐसे में एवरग्रांड जैसी दिग्गज कंपनी का दिवालिया हो जाना चीन की इकोनॉमी के लिए बड़ झटका है. एवरग्रांड ने खुद को अमेरिका में दिवालिया घोषित किया है.

चीन की इकोनॉमी को तगड़ा झटका. चीन की इकोनॉमी को तगड़ा झटका.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

कोविड महामारी (Covid) के दौरान बेपटरी हुई चीन की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है. चीन की बिगड़ी इकोनॉमी (China Economy) की चपेट में अब इसकी बड़ी कंपनियां आने लगी हैं और इसका असर सिर्फ चीन तक सीमित नहीं है. हाल ही में चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट की कंपनी एवरग्रांड ग्रुप (Evergrande Group) ने खुद को दिवालिया घोषित किया था. कंपनी के इस ऐलान के बाद अमेरिका में हड़कंप मच गया. क्योंकि एवरग्रांड ग्रुप ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में चैप्टर-15 के तहत दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन किया है. चीन की दिग्गज कंपनी का दिवालिया हो जाना उसकी बिगड़ती आर्थिक सेहत को साफ परिभाषित कर रहा है कि वो इकोनॉमी के मोर्चे पर किस संकट से जूझ रहा है.

Advertisement

4.5 अरब डॉलर स्वाहा

पिछले छह महीने में एवरग्रांड ग्रुप के 4.5 अरब डॉलर स्वाहा हो गए हैं. दो साल में कंपनी 582 अरब युआन डूबो चुकी है. भारी कर्ज के बोझ तले दबी इस कंपनी पर 330 अरब डॉलर से अधिक का बकाया है. एवरग्रांड ग्रुप की दिवालियापन की खबर ऐसे समय में आई है, जब चीन की इकोनॉमी पटरी पर वापसी के लिए रास्ते तलाश रही है.

दूसरी तरफ चीन में रियल स्टेट के मार्केट की हालत खस्ता है. क्योंकि कई कंपनियों ने अपने प्रोजक्ट पूरे तो कर दिए हैं. लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहा है. कुछ समय पहले चीन की एक और रियल स्टेट की दिग्गज कंपनी कंट्री गार्डन ने बताया था कि पहले छह महीने में उसे 7.6 अरब डॉलर तक की भारी-भरकम का नुकसान उठाना पड़ा है. 

Advertisement

चीन की इकोनॉमी के लिए बड़ा झटका

चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट सेक्टर ही हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है. ऐसे में एवरग्रांड जैसी दिग्गज कंपनी का दिवालिया हो जाना चीन की इकोनॉमी के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि इसका असर पूरे रियल स्टेट सेक्टर पर पड़ा है. एवरग्रांड ग्रुप ने अमेरिका में जिस चैप्टर-15 के तहत दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन किया है, उसके जरिए विदेशी कंपनियों की संपत्ति को अमेरिका में सुरक्षा मिलती है.

चैप्टर-15 रिस्ट्रक्चरिंग से गुजर रही गैर-अमेरिकी कंपनियों को ऐसे लेनदारों से बचाता है, जो उन पर मुकदमा करने या अमेरिका में उनकी संपत्ति जब्त करने की कोशिश करते हैं. एवरग्रांड 2021 में कर्ज का भुगतान नहीं कर सकी थी. तब उसने इसका कारण कोविड संक्रमण को बताया था. इसके बाद अमेरिका में हड़कंप मच गया था. 

दूसरे सेक्टरों पर नजर आने लगा है असर

कोविड के बाद चीन इकोनॉमी के मोर्चे पर जूझ रहा है. उसकी जीडीपी दर की ग्रोथ लगातार अनुमान से कम दर्ज की जा रही है. चीन में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड पर पहुंच गई. ऐसे में रियल स्टेट सेक्टर का लगातार असफल होना उसके लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है. क्योंकि इसका असर अब दूसरे सेक्टरों पर नजर आने लगा है.

चीन के बाजार में इसका असर दिखने लगा है और कंपनी के स्टॉक टूटकर 2010 के बाद पहली बार अपने मिनिमम लेवल पर पहुंच गए. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि शेयरों की ट्रेडिंग रोकनी पड़ी. जानकारों का कहना है कि एवरग्रांड का कर्ज और उसका दिवालियापन दुनिया भर के मार्केट में खलबली मचा सकता है. 

Advertisement

चीन में लाखों रोजगार पैदा करती है एवरग्रांड

एवरग्रांड पर कर्ज के बोझ के बढ़ने की बड़ी वजह इसकी एग्रेसिव पॉलिसी रही है. पिछले कुछ साल में रियल स्टेट की इस दिग्गज कंपनी ने पने ऊपर लदे कर्ज को नजरअंदाज कर विस्तार पर फोकस किया. कंपनी की आर्थिक स्थिति बाहर नहीं आने की वजह से लोगों का भरोसा कंपनी पर बना रहा.

लेकिन जब 2020 में चीन की सरकार ने कंपनियों की वित्तीय स्थिति को लेकर निगरानी बढ़ाई तो, एवरग्रांड की असलियत सामने आ गई. रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी में करीब 2 लाख कर्मचारी करते हैं और चीन में ये कंपनी हर साल 38-40 लाख रोजगार पैदा करती है.

 

TOPICS:
Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement