Advertisement

UPA vs NDA: दो सरकारों के दौरान ऐसे आगे बढ़ा अडानी ग्रुप, पूरी कहानी... आंकड़ों की जुबानी

अडानी ग्रुप को लेकर इन दिनों राजनीतिक गलियारों में माहौल गर्म है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट आई. इसके बाद से विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अडानी ग्रुप को लेकर कई आरोप लगाए हैं. अब आंकड़ों में समझ लीजिए अडानी ग्रुप के ग्रोथ की कहानी...

किस सरकार में कैसे आगे बढ़ा अडानी ग्रुप का कारोबार? किस सरकार में कैसे आगे बढ़ा अडानी ग्रुप का कारोबार?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST

गौतम अडानी (Adani Group) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) ने पिछले दो दशकों में बड़े पैमाने पर अपने कारोबार का विस्तार किया है. साल 2000 के शुरुआती दशक में ग्रुप की एक कंपनी लिस्टेड थी. 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 10 हो गई है. इनमें एसीसी, अंबुजा सीमेंट्स और एनडीटीवी शामिल हैं, जिनका हाल ही में अडानी ग्रुप ने अधिग्रहण किया है. अडानी ग्रुप के विस्तार को भारत की विकास गाथा के अनुरूप देखा जा सकता है. वर्तमान में, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2004 के 709.15 अरब डॉलर के मुकाबले 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, तब देश की जीडीपी 2.04 ट्रिलियन डॉलर थी.

Advertisement

अडानी ग्रुप की मौजूदगी आज के समय में इंफ्रास्ट्रक्टर, पावर, एयरपोर्ट, सीमेंट, मीडिया और FMCG जैसे कई सेक्टर्स में है. ग्रुप ने साल 2004 से अपने निवेशकों को शानदार मुनाफा भी दिया है. 

यूपीए के तहत कितना बढ़ा कारोबार?

दिलचस्प बात ये है कि यूपीए के शासन के दौरान अडानी समूह के शेयर अडानी एंटरप्राइजेज में भारी उछाल आया था. ऐस इक्विटी के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, मई 2004 से मई 2014 के बीच अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 2,186 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. अडानी एंटरप्राइजेज 2004 में एकमात्र लिस्टेड अडानी समूह की फर्म थी. लगभग तीन साल बाद, अडानी पोर्ट्स (पहले मुंद्रा पोर्ट के रूप में जाना जाता था) की नवंबर 2007 में लिस्टिंग हुई. इसके बाद अडानी पावर को अगस्त 2009 में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कराया गया.

अडानी पोर्ट्स 

Advertisement

अडानी समूह ने मई 2011 में क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में एबॉट पॉइंट पोर्ट को 99 साल की लीज पर लेने का ऐलान किया. ये अधिग्रहण 2 अरब डॉलर में हुआ, जो भारत के बाहर कंपनी के विस्तार की शुरुआत को दर्शाता है. अडानी पोर्ट्स के शेयरों में 27 नवंबर, 2007 और 23 मई, 2014 के बीच 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. वहीं, अडानी पावर में 20 अगस्त, 2009 से 23 मई, 2014 के बीच 35 प्रतिशत की गिरावट आई. साल 2014 में जब एनडीए केंद्र की सत्ता में आई, तब अडानी ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये था.

लिस्टेड कंपनियां

फिलहाल अडानी ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 10 लाख करोड़ रुपये है. ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में अडानी ट्रांसमिशन, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी टोटल गैस, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर, अडानी पोर्ट्स, अडानी विल्मर, एसीसी, अंबुजा सीमेंट्स और एनडीटीवी शामिल हैं.

एनडीए के शासन में कारोबार का विस्तार

21 दिसंबर 2022 को अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 756 फीसदी बढ़कर 4,189.55 रुपये पर पहुंच गए थे. 26 मई 2014 को ये स्टॉक 489 रुपये पर थे. हालांकि, 24 जनवरी, 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद कंपनी के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई. लेकिन भारी गिरावट के बावजूद एनडीए सरकार के कार्यकाल में अडानी एंटरप्राइजेज शेयर अभी (26 मई, 2014 से 8 फरवरी, 2023) भी 341 फीसदी ऊपर है. अडानी पावर और अडानी पोर्ट्स ने इसी अवधि के दौरान क्रमश 199 फीसदी और 169 फीसदी की तेजी दर्ज की है.

Advertisement

कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, अडानी पावर 13,650 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता के साथ भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट थर्मल पावर उत्पादक है. इसमें 13,610 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट और 40 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना भी शामिल है.

इस बीच साल 2015 में लिस्ट होने वाले अडानी ट्रांसमिशन के स्टॉक में अब तक 4,536 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अडानी टोटल गैस और अडानी ग्रीन एनर्जी ने भी 2018 में शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद 1,000 फीसदी से अधिक की छलांग लगाई है. फरवरी 2022 में लिस्ट होने वाली अडानी विल्मर ने क्लोजिंग प्राइस के मुकाबले निवेशकों को लगभग 60 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.

कंपनियों का मार्केट कैप

8 फरवरी, 2023 को अडानी एंटरप्राइजेज का मार्केट कैप 2.46 लाख करोड़ रुपये था. इसके बाद अडानी टोटल गैस (1.53 लाख करोड़ रुपये), अडानी ट्रांसमिशन (1.47 लाख करोड़ रुपये), अडानी पोर्ट्स (1.29 लाख करोड़ रुपये), अडानी ग्रीन एनर्जी (1.27 लाख करोड़ रुपये), अंबुजा सीमेंट्स (76318 करोड़ रुपये), अडानी पावर (70,196 करोड़ रुपये), अडानी विल्मर (54502 करोड़ रुपये), एसीसी (37,057 करोड़ रुपये) और एनडीटीवी (1468 करोड़ रुपये) का स्थान है.

20 वर्षों में मुनाफा और रेवेन्यू

पिछले 20 वर्षों में अडानी ग्रुप का रेवेन्यू और मुनाफा कई गुना बढ़ा है. अडानी एंटरप्राइजेज का स्टैंडअलोन रेवेन्यू वित्त वर्ष 2004 में 7,078.35 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2014 में 11,699.54 करोड़ रुपये हो गया. मार्च 2022 में समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए अडानी एंटरप्राइजेज का स्टैंडअलोन रेवेन्यू 26,824.05 करोड़ रुपये रहा था. इसी तरह, वित्त वर्ष 2014 में 178.69 करोड़ रुपये के नुकसान के मुकाबले कंपनी का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट 31 मार्च 2022 तक बढ़कर 720.70 करोड़ रुपये हो गया था. FY2004 में कंपनी को 124.09 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.

Advertisement

इस बीच, अडानी पोर्ट्स का स्टैंडअलोन नेट फ्रॉफिट वित्त वर्ष 2014 में 2,016.17 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 22 में घटकर 297.56 करोड़ रुपये रह गया. कंपनी ने वित्त वर्ष 2004 में 187 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया था.

अडानी विल्मर और पावर

दूसरी ओर, अडानी पावर ने वित्त वर्ष 2014 में 596.26 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2009 में 170.80 करोड़ रुपये के मुनाफा हासिल किया था. लेकिन वित्त वर्ष 22 में कंपनी ने 182.23 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया. अडानी विल्मर ने 52,361.01 करोड़ रुपये की ग्रॉस सेल पर FY22 में 807.94 करोड़ रुपये का स्टैंडअलोन नेट फ्रॉफिट हासिल किया था. दूसरी ओर अडानी ट्रांसमिशन ने FY22 में 739.81 करोड़ रुपये की टॉप लाइन पर 64.61 करोड़ रुपये का लॉस दर्ज किया. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement