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आटा-चावल के बाद अब डेढ़ महीने में अचानक दालें हो गईं इतनी महंगी!

देश में सिर्फ दाल की कीमतों में ही नहीं, बल्कि बीते एक साल में खाने-पीने की अन्य वस्तुओं की कीमतों में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कीमतें काबू में आती नहीं दिख रही हैं. दूध, दही, नमक हो या फिर गेहूं, आटा, चावल सालभर में सभी के दाम बढ़े हैं.

अब दाल की कीमतों ने बिगाड़ा रसोई का बजट अब दाल की कीमतों ने बिगाड़ा रसोई का बजट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST
  • 6 हफ्ते में कीमतें 15 फीसदी तक बढ़ गईं
  • आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर खुदरा महंगाई

देश में बढ़ती महंगाई (Inflation) ने पहले ही आम आदमी के रसोई का बजट (Budget) बिगाड़ कर रखा है. दूध-सब्जियों से लेकर गैस-तेल तक सब महंगे हुए हैं. हालांकि, तेल की कीमतें पिछले कुछ दिनों में घटी हैं, लेकिन अब मोर्चा दालों ने संभाल लिया है. दाल की कीमतों में तेजी ने लोगों की जेब के खर्च को और बढ़ा दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महज 6 हफ्ते में ही उड़द (Urad) और तुअर (Tur) के दाम 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं.   

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कृषि मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
आमतौर पर लोगों की रसोई में रोजाना के खाने में आलू या टमाटर जैसी सब्जियों के अलावा दाल भी शामिल पाई जाती है. ऐसे में इनकी कीमतों में वृद्धि सीधे तौर पर रसोई के खर्च में इजाफा करती है. कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) द्वारा जारी ताजा बुवाई के आंकड़ों को देखें, तो अरहर का रकबा एक साल पहले की तुलना में 4.6 फीसदी कम हुआ, जबकि उड़द के रकबे में 2 फीसदी की कमी देखने को मिली है. 

बारिश के चलते नुकसान की चिंता
कृषि मंत्रालय ने जो डाटा पेश किया है, इसके मुताबिक पिछले 6 हफ्तों में ही अरहर दाल और उड़द दाल की कीमतों में 15 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. बारिश और जलजमाव के कारण फसलों को नुकसान के बारे में चिंताओं में भी इजाफा हुआ है.

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कीमतों में तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के लातूर में अच्छी गुणवत्ता वाली अरहर दाल की एक्स-मिल कीमत डेढ़ महीने पहले 97 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, जो अब बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.

विशेषज्ञों ने जताई ये उम्मीद
महाराष्ट्र (Maharashtra) में दालों के आयातक हर्षा राय की मानें तो फिलहाल, तुअर में फंडामेंटल मजबूती दिखाई दे रही है और कोई बड़ा कैरी ओवर स्टॉक नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें अफ्रीका से अगस्त/सितंबर 5,00,000 टन की खेप की उम्मीद है. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक बारिश से उड़द की फसल को ज्यादा नुकसान हो सकता है. हालांकि, आयात की संभावना के चलते आपूर्ति में दबाव का गुंजाइश कम ही है. 

नमक से चावल तक के दाम बढ़े
सिर्फ दाल की कीमतों में ही नहीं, बल्कि बीते एक साल में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कीमतें काबू में आती नहीं दिख रही है. हाल ये है कि दूध, दही, नमक हो या फिर गेहूं, आटा, चावल सालभर में सभी के दाम बढ़े हैं. यहां तक कि नमक का भी भाव बढ़ गया.

6% से ऊपर रहेगी खुदरा महंगाई 
उपभोक्ता मंत्रालय के आंकडों के अनुसार, एक साल पहले चावल का औसत भाव 34.86 रुपये किलो था, जो अब 37.38 रुपये हो गया. गेहूं 25 रुपये से 30.61 रुपये, जबकि आटा 29.47 से 35 रुपये प्रति किलो हो गया. दूध की कीमत 48.97 से बढ़कर 52.41 रुपये लीटर हो गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान के मुताबिक, अभी भी खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर 6 फीसदी से ऊपर ही रहेगी.

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