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चीन ने उठाया ऐसा कदम... US को हो सकता है अरबों का नुकसान, अब क्‍या करेंगे ट्रंप?

चीन के इस कदम को नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है. ट्रंप ने चीनी सामानों पर 10 फीसदी का एक्स्‍ट्रा टैरिफ लगाने को कहा था. ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और ज्‍यादा बढ़ सकता है.

China vs US Trade War China vs US Trade War
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 07 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST

ट्रंप ने चीनी सामानों पर 10% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने को कहा था. लेकिन उससे पहले ही चीन ने अमेरिका को बड़ा झटका दे दिया है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉ‍मी ने कुछ दुर्लभ खनिज के निर्यात पर रोक लगा दी है. ये धातुएं स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, रडार और सीटी स्कैनर जैसी चीजों में इस्तेमाल होती हैं. चीन का ये कदम अमेरिका की ओर से चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है. 

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इतना ही नहीं चीन के इस कदम को नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है. ट्रंप ने चीनी सामानों पर 10 फीसदी का एक्स्‍ट्रा टैरिफ लगाने को कहा था. ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और ज्‍यादा बढ़ सकता है. 

चीन ने किन चीजों पर प्रतिबंध लगाया? 
चीन ने तीन प्रमुख दुर्लभ धातुओं - गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी के निर्यात पर बैन लगा दिया है. गैलियम (परमाणु संख्या 31) एल्युमीनियम के समान एक नरम, चांदी जैसी सफ़ेद धातु है, जिसका गलनांक कमरे के तापमान से थोड़ा ऊपर होता है. जर्मेनियम (परमाणु संख्या 32) एक धूसर-सफ़ेद धातु (यानी अर्ध-धातु) है जो भंगुर होती है.  एंटीमनी (परमाणु संख्या 51) एक कठोर, भंगुर, चांदी जैसी धातु है. 

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कितने खास हैं ये धातुएं? 
आज के समय में अमेरिका में इन धातुओं की बहुत जरूरी माना जाता है. इनका यूज डिफेंस और टेक्‍नोलॉजी के प्रोडक्‍ट में यूज किया जाता है. गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी आज दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि इनका उपयोग ज्यादातर कंप्यूटर, डिफेंस और रिन्‍यूवेबल एनर्जी टेक्‍नोलॉजी में किया जाता है. इन दुर्लभ खनिजों की आवश्‍यकता कई अन्‍य प्रकार के उपकारों के अलावा अर्धचालक बनाने में यूज होता है. 

इन धातुओं का सबसे बड़ा एक्‍सपोर्टर है चीन 
AP की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन इनमें से ज्‍यादातर धातुओं का सबसे बड़ा सोर्स है और उन धातुओं के रिफाइन में भी लीडर है, जिनका उपयोग उपभोक्ता वस्तुओं और सैन्य लक्ष्‍यों दोनों के लिए किया जाता है. चीनी निर्यात नियंत्रण के अधीन सामग्री उन 50 में से हैं जिन्हें यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिक सर्वे ने "महत्वपूर्ण खनिजों" के रूप में नामित किया है. 

3 अरब डॉलर से ज्‍यादा का हो सकता है नुकसान 
हाल ही में USGS के एक स्‍टडी में अनुमान लगाया गया है कि अकेले गैलियम और जर्मेनियम की आपूर्ति में व्यवधान से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कुल 3 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है, लेकिन स्थिति जटिल है. चीन ने जुलाई 2023 में दोनों धातुओं के निर्यात पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को लागू किया. चीनी सीमा शुल्क डेटा के अनुसार, इस साल इसने अमेरिका को कोई निर्यात नहीं किया है. एंटीमनी निर्यात में भी गिरावट आई है.

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क्‍या कदम उठाएंगे ट्रंप? 
जब से राष्ट्रपति ट्रम्प ने बीजिंग के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू किया है, वह समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है. चीन ने उन्नत तकनीक तक पहुंच पर अमेरिकी सीमाओं का जवाब देने में सतर्क रुख अपनाया है. ऐसे में देखना ये दिलचस्‍प होगा कि क्‍या ट्रंप पदभार संभालने के बाद चीन पर टैरिफ बढ़ाएंगे. हालांकि कुछ एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि यह संभव नहीं है कि ट्रंप टैरिफ में बढ़ोतरी करें. 

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