
अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Fed) ने ग्लोबल इकोनॉमी को कोई बड़ा झटका तो नहीं दिया, लेकिन अमेरिका में बीते 40 साल की सबसे अधिक महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मौद्रिक नीति (Tighter Monetary Policy) का रास्ता अपना लिया है. फेडरल रिजर्व ने 2018 के बाद पहली बार नीतिगत ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोत्तरी कर दी है. साथ ही आगे इसे और बढ़ाने के भी संकेत दिए हैं.
8-1 के वोट से हुआ फैसला
भारत के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तरह ही फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (Federal Open Market Committee-FOMC) ने 8-1 के वोट से नीतिगत ब्याज दरों को बढ़ाने पर सहमति दी. कोरोना महामारी के काल में ये ब्याज दरें लगभग शून्य के स्तर पर बनी हुई थीं ताकि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके. अभी भी फेडरल रिजर्व के सामने आर्थिक वृद्धि और महंगाई नियंत्रण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती थी. लेकिन उसने महंगाई नियंत्रित करने के लिए ऋण को महंगा कर दिया है.
बदलेगा ग्लोबल मार्केट का हाल?
एफओएमसी की बैठक के बाद फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल ने मीडिया को इसके फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और ये कड़ी मौद्रिक नीति को संभाल सकती है. ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक फेडरल रिजर्व ने इस साल बची हुई 6 बैठकों में ब्याज दरों को और बढ़ाए जाने के साफ संकेत दिए हैं.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2022 के अंत तक ये 1.9% पर पहुंच सकती हैं, जबकि 2023 में इनके 2.8% तक जाने की संभावना है. ग्लोबल मार्केट में इसका व्यापक असर दिख सकता है. ये रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) और चीन में लगे नए कोविड-19 लॉकडाउन से भी ज्यादा अनिश्चिता लाने वाली स्थिति है.
भारत पर इस फैसले का असर
अभी इस फैसले का भारतीय बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा है. इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ इंडियन मार्केट को भी ब्याज दरों में इतनी बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि फेडरल रिजर्व आने वाले समय में अगर ब्याज दरें और बढ़ाएगा तो बाजार पर इसका व्यापक असर दिखेगा. क्योंकि अमेरिका के नीतिगत ब्याज दर और बढ़ाने से एफआईआई (FII) का रुख अमेरिका की तरफ हो सकता है और इससे वो भारतीय बाजार से बड़े पैमाने पर निकासी कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: