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US-China Trade War: इस बड़ी कंपनी ने अपने कर्मचारियों से कहा- चीन छोड़ दो, विकल्प में दिए ये देश, जानिए कारण

चीनी आयात पर नकेल कसने के लिए अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद पैदा हुए तनाव के बीच माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी ने चीन में काम कर रहे कर्मचारियों अन्य देशों में रिलोकेट होने का विकल्प दिया गया है.

चीनी आयात पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने उठाए हैं कदम चीनी आयात पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने उठाए हैं कदम
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन (China Economy) के लिए बुरी खबर आई है. अमेरिका के साथ चल रही तकरार के बीच दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की ओर से ड्रैगन को करारा झटका लगा है. वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, अरबपति बिल गेट्स (Bill Gates) की कंपनी ने चीन में काम करने वाले अपने सैकड़ों कर्मचारियों को China छोड़कर दूसरे देशों में शिफ्ट होने पर विचार करने के लिए कहा है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...

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700-800 कर्मचारियों को दिया विकल्प

दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों (World's Yop-10 Billionaires) की लिस्ट में शामिल बिल गेट्स फाउंडेड माइक्रोसॉफ्ट ने US प्रेसिडेंट जो बिडेन प्रशासन द्वारा विभिन्न सेक्टर्स में चीन से आयातित सामानों पर कई क्षेत्रों पर शुल्क बढ़ाने के फैसले से अमेरिका और चीन में बढ़े तनाव (US-China Tension) के बीच अपने चीन में कार्यरत कर्मचारियों से ये अनुरोध किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड-कंप्यूटिंग और AI सेक्शन में काम करने वाले तकरीबन 700-800 कर्मचारियों को दूसरे देशों में स्थानांतरित होने पर विचार करने के लिए कहा है.

कर्मचारियों को इन देशों में जाने की सलाह

Microsoft द्वारा जिन कर्मचारियों को स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है, उनमें से ज्यादातर चीन के ही नागरिक हैं. इन सभी को अमेरिका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे में रिलोकेट का विकल्प दिया गया है. China में माइक्रोसॉफ्ट करीब 2 दशक से काम कर रही है और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दे रही है. टेक दिग्गज ने साल 1992 में चीनी मार्केट में एंट्री ली थी और यहां उसका कारोबार बहुत बड़ा है. दरअसल, अमेरिका के बाहर कंपनी का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास केंद्र चीन में है.

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अमेरिका ने ऐसे कसी है चीन पर नकेल

अमेरिका की ओर से चीनी आयात पर लिए गए फैसलों के बारे में बताएं, तो जो बिडेन प्रशासन ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बैटरी, कंप्यूटर चिप्स और मेडिकल इक्विपमेंट्स समेत विभिन्न सेक्टर्स में चीन से आयात होने वाले सामानों शुल्क बढ़ा दिया है. चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर तो आया शुल्क 100% कर दिया गया है. इसके अलावा सेमीकंडक्टर पर 50% और इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी पर 25 फीसदी का शुल्क लगाया गया है. इसके बाद दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव बढ़ गया है. 

China ने अमेरिका को लेकर क्या कहा? 

वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट की मानें तो माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी ने चीन में काम कर रहे अपने कर्मचारियों को अन्य देशों में रिलोकेट होने का विकल्प दिया है. गौरतलब है कि चीन ने सीरिंज से लेकर बैटरी तक करीब 18 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ाने के अमेरिकी फैसले पर सावधानी से प्रतिक्रिया दी है. चीन ने जो बिडेन प्रशासन के कार्यों की आलोचना करते हुए अपने हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है. 

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