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युवा भारत की सोच विराट कोहली जैसी, RBI पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने क्‍यों कहा ऐसा?

उन्‍होंने कहा कि नौकरियों को कैसे पैदा करें? इस बात पर सोचना चाहिए. मेरा मानना है कि आंशिक तौर पर लोगों की क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए और हमें दोनों मोर्चों पर काम करने की आवश्‍यकता है. साथ ही रोजगार देने पर फोकस करने की जरूरत है.

रघुराम राजन रघुराम राजन
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 17 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि भारत में बहुत से कारोबारी खुश नहीं हैं, जिस कारण वे भारत छोड़कर दूसरे देश जा रहे हैं.  पूर्व गवर्नर ने कहा कि बहुत से भारतीय इनोवेटर अब स्थापित होने के लिए सिंगापुर या सिलिकॉन वैली जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें वहां लास्‍ट मार्केट तक पहुंच बहुत आसान लगती है. 

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उन्‍होंने कहा कि हमें यह जानने की जरूरत है कि ऐसा क्या है, जो उन्हें भारत के अंदर रहने की बजाय भारत से बाहर जाकर स्थापित होने के लिए मजबूर करता है? वहीं कुछ कारोबारियों की सोच दिल को छू लेने वाली है. उनका मानना है कि वह दुनिया को बदलना चाहते हैं और भारत का सिस्‍टम उनके अनूकुल नहीं है. ऐसे में वे अपने कारोबार की तरक्‍की के लिए बाहर जा रहे हैं. 

विराट कोहली जैसी युवा भारत की मानसिकता
राजन ने कहा कि ये कुछ कारोबारी वास्तव में वर्ल्‍ड लेवल पर और अधिक विस्तार करना चाहते हैं. ठीक वैसे ही जैसे विराट कोहली (Virat Kohli) की सोच है. उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि युवा भारत की मानसिकता विराट कोहली जैसी है कि मैं दुनिया में किसी से पीछे नहीं हूं. 

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पूंजी में बढ़ोतरी पर फोकस 
राजन जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में '2047 तक भारत को एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनाना: इसमें क्या होगा' टॉपिक पर बोल रहे थे. राजन ने कहा कि भारत लोकतंत्र का लाभ नहीं उठा पा रहा है. उन्‍होंने कहा कि मानव की पूंजी में सुधार और उनके कौशल सेट को बढ़ाने पर फोकस रखने की आवश्‍यकता है. उन्‍होंने कहा कि यही कारण है कि मैंने 6 फीसदी की बढ़ोतरी दर की बात कही है. 

उन्‍होंने कहा कि नौकरियों को कैसे पैदा करें? इस बात पर सोचना चाहिए. मेरा मानना है कि आंशिक तौर पर लोगों की क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए और हमें दोनों मोर्चों पर काम करने की आवश्‍यकता है. साथ ही रोजगार देने पर फोकस करने की जरूरत है. उन्‍होंने कहा कि नौकरी की समस्‍या पिछले 10 साल में पैदा नहीं हुई थी. यह पिछले कुछ दशकों में बढ़ रही है. 

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