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कोरोना संकट की वजह से दुनियाभर में बेरोजगारी बढ़ी है. आर्थिक गतिविधियां थमने से अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है. इस बीच अब विश्व बैंक ने बुधवार को एक चेतावनी दी है. विश्व बैंक का कहना है कि कोरोना की वजह से विकासशील देशों के साथ विकसित देशों की भी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.
विश्व बैंक की मानें तो इस महामारी की वजह से आर्थिक संकट गहरा सकता है. विश्व बैंक ने बुधवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि साल 2021 तक कोरोना के कारण कम से कम 15 करोड़ लोग अत्यधिक गरीब की श्रेणी में चले जाएंगे. यानी रोजी-रोटी का संकट गहरा सकता है. विश्व बैंक ने महामारी के मद्देनजर चेताया है कि साल 2021 तक 88 से 150 मिलियन लोगों को अत्यंत गरीबी का सामना करना पड़ सकता है.
खतरे की घंटी
दरअसल आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं. जिससे विकास दर निगेटिव में चला गया है. विश्व बैंक के मुताबिक 2021 तक 8.8 करोड़ से 11.5 करोड़ लोग अतिरिक्त गरीबी में धकेले जा सकते हैं, जिसे मिलाकर 2021 तक दुनियाभर में 15 करोड़ लोगों पर अधिक गरीब होने का खतरा मंडरा रहा है. विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास का कहना है कि कोरोना संकट के बाद सभी देशों को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर काफी काम करना होगा, तब जाकर स्थिति में सुधार संभव है.
इससे पहले बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मुताबिक कोरोना महामारी ने पिछले कई दशकों के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई प्रगति को पलटते हुए लगभग 3.7 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है. फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस महामारी का वास्तविक प्रसार चाहे जितना रहा हो, लेकिन इसने आर्थिक मौर्चे पर हर देश में व्यापक रूप से तबाही मचाई है.
हालांकि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि कोरोना संकट के दौरान भारत ने 20 करोड़ महिलाओं को नकदी हस्तांतरण किया और इससे न केवल भूख और गरीबी पर महामारी के असर को कम करने में मदद मिली, बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला. इसके अलावा भारत में आधार डिजिटल वित्तीय प्रणाली मददगार साबित हुई.